छत्तीसगढ़ में 'फर्जी मुठभेड़' में मारे गए व्यक्ति का अंतिम संस्कार रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
छत्तीसगढ़ में एक कथित फर्जी मुठभेड़ में राज्य के अधिकारियों द्वारा शव के अंतिम संस्कार को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई।
यह मामला जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अदालत के एक प्रश्न पर मामले का उल्लेख करने वाले वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रुख किया था। हालांकि, तत्काल सुनवाई की अनुमति नहीं दी गई और आशंका है कि प्रतिवादी शव का अंतिम संस्कार कर देंगे।
जब वकील ने दावा किया कि प्रतिवादी शव का अंतिम संस्कार करने की कोशिश कर रहे हैं तो जस्टिस कांत ने टिप्पणी की,
"नहीं, नहीं, यह ठीक है... हम जानते हैं कि आप लोग यहां कैसे हैं, हमसे टिप्पणी करने के लिए न कहें।"
यह याचिका AoR सत्य मित्रा के माध्यम से दायर की गई। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य, उसके पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, एक ज़िला कलेक्टर, सीबीआई और स्वर्गीय बलिराम कश्यप स्मारक को पक्षकार बनाया गया।
उल्लेखनीय है कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फ़र्ज़ी मुठभेड़ों की जांच के लिए 16 दिशानिर्देश जारी किए [संदर्भ: पीयूसीएल बनाम महाराष्ट्र राज्य]। पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा और जस्टिस आरएफ नरीमन की दो जजों की बेंच ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 "मानव सम्मान के साथ जीने के अधिकार" की गारंटी देता है। मानवाधिकारों के किसी भी उल्लंघन को अदालत गंभीरता से लेती है, क्योंकि जीवन का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा प्रदत्त सबसे मूल्यवान अधिकार है। यह भी माना गया कि पुलिस मुठभेड़ों में हत्याएं कानून के शासन और आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं।
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने असम मानवाधिकार आयोग (असम एचआरसी) को असम राज्य में फ़र्ज़ी पुलिस मुठभेड़ों के आरोपों की एक स्वतंत्र और शीघ्र जांच करने का निर्देश दिया। यह पाया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा उजागर किये गये 171 मामलों में से प्रत्येक की वस्तुनिष्ठ जांच आवश्यक है।
Case Title: RAJA CHANDRA v. STATE OF CHHATTISGARH, Diary No. - 55729/2025