'न्यायिक संस्थाओं में आउटसोर्स स्टाफ की तैनाती विवेकपूर्ण नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने CAT की जम्मू बेंच के बारे में चिंता जताई

Update: 2025-01-03 04:29 GMT

जम्मू में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) बेंच के कामकाज से संबंधित मामले पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक संस्थाओं में निजी व्यक्तियों की आउटसोर्सिंग और निजी संपत्तियों पर संस्थाओं के संचालन के बारे में चिंता जताई।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा,

"यह अत्यधिक वांछनीय है कि न्यायाधिकरण का स्थायी भवन हो। साथ ही उचित कोर्ट रूम, चैंबर, अधिकारी और न्यायाधिकरण के अन्य कर्मचारी हों। इसी तरह न्यायिक/अर्ध-न्यायिक संस्थाओं में आउटसोर्स स्टाफ की तैनाती विवेकपूर्ण नहीं हो सकती है, जहां रिकॉर्ड का रखरखाव, गोपनीयता और रिकॉर्ड को अपडेट करना दिन-प्रतिदिन की चुनौतियां हैं।"

संक्षेप में कहें तो यह वह मामला है, जहां दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट को संभावित प्रस्ताव के बारे में बताया गया, जिसके अनुसार, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के लिए नया परिसर पूरा हो जाने के बाद जम्मू में CAT की पीठ पुरानी इमारत में स्थानांतरित हो सकती है।

जस्टिस कांत और जस्टिस भुयान की खंडपीठ ने केंद्र द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट पर विचार किया, जिसमें बाद के घटनाक्रमों पर प्रकाश डाला गया। इस स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया कि दिसंबर में हुई बैठक के अनुसार, अस्थायी व्यवस्था के तौर पर निजी इमारत को किराए पर लेने का फैसला किया गया। हालांकि, उक्त इमारत में कुछ कमियां हैं और कमियों को दूर करने के संबंध में काम शुरू कर दिया गया, जो जनवरी 2025 के अंत तक पूरा होने की संभावना है।

अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता पर स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया कि 58 स्वीकृत पदों में से 26 नियमित आधार पर भरे गए, जबकि 10 आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा भरे गए। प्रतिनियुक्ति पर लोगों को लाने के लिए कुछ पदों को प्रसारित किया गया।

स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद जस्टिस कांत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को बताया कि जम्मू में CAT की बेंच स्थायी विशेषता प्रतीत होती है, क्योंकि यह दशकों से काम कर रही है।

"जब भी केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा जाता है, तब भी जम्मू में CAT की बेंच हमेशा से रही है...भले ही यह एक राज्य है, फिर भी आपके पास जम्मू में ट्रिब्यूनल की एक बेंच जारी रखने के लिए पर्याप्त काम है...तो आप स्थायी बुनियादी ढांचा क्यों नहीं बनाते? कल, यह निजी मकान मालिक बेदखली याचिका दायर करेगा, फिर वही समस्या...किराया चुकाया, नहीं चुकाया...कोर्ट रूम में एक आभा होनी चाहिए। एक निजी घर में एक ड्राइंग रूम में कोर्ट रूम में तब्दील कोर्ट इस तरह से कैसे काम कर सकता है? ट्रिब्यूनल आखिरकार वहां हाईकोर्ट का विकल्प है।"

आधिकारिक बैठक के दौरान कुछ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण सदस्यों के साथ बातचीत को याद करते हुए जस्टिस कांत ने आगे आउटसोर्स किए गए कर्मचारी के गोपनीय दस्तावेजों के साथ भागने की स्थिति में जवाबदेही के बारे में सवाल उठाए।

उन्होंने कहा,

"सदस्य मेरे पास आए और कहा कि उन्हें आउटसोर्स कर्मचारियों को काम पर रखने की अनुमति है। मामले बहुत बड़े दांव पर लगे हैं। कभी-कभी विवाद में सैकड़ों-हजारों करोड़ रुपये शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई आउटसोर्स कर्मचारी किसी मामले का रिकॉर्ड ले जाता है तो कौन जिम्मेदार होगा? यह कोई बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन नहीं है कि कोई भी वहां आकर काम कर सकता है। आपको किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो पूरी तरह से जवाबदेह हो। अगर कोई निजी एजेंसी द्वारा नियुक्त व्यक्ति रिकॉर्ड लेकर भाग जाए तो क्या होगा?"

जवाब में ASG ने कहा कि निजी संस्थाओं के माध्यम से आउटसोर्सिंग केवल अस्थायी उपाय है। इसके बाद जस्टिस कांत ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार भूमि आवंटित कर सकती है, जबकि संघ निर्माण के लिए धन उपलब्ध करा सकता है।

ASG भाटी को निर्देश प्राप्त करने के लिए 4 सप्ताह का समय देते हुए न्यायालय ने कहा कि न्यायाधिकरण को किराए के भवन में स्थानांतरित करने के संबंध में नई स्टेटस रिपोर्ट भी दायर की जा सकती है।

केस टाइटल: अचल शर्मा बनाम भारत संघ और अन्य, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 877/2020

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