'आयुर्वेद डॉक्टर के एलोपैथी डॉक्टरों के समान वेतन के हकदार को इनकार करने वाले फैसले में कोई त्रुटि नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कीं

Update: 2023-11-03 07:56 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी। उक्त फैसले में कहा गया कि आयुर्वेद डॉक्टर एलोपैथी डॉक्टरों के समान वेतन के हकदार नहीं हैं।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा,

"हमने 26 अप्रैल 2023 के फैसले और आदेश का अध्ययन किया है, जिस पर पुनर्विचार करने की मांग की गई। रिकॉर्ड पर कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं है। अन्यथा, पुनर्विचार के लिए कोई आधार नहीं है। इसके साथ ही पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं।

मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (आयुर्वेद) गुजरात राज्य बनाम संघ मामले में जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ द्वारा 26 अप्रैल को दिए गए फैसले के खिलाफ मेडिकल ऑफिसर्स (आयुर्वेद) एसोसिएशन और कुछ व्यक्तियों द्वारा समीक्षा याचिकाएं दायर की गई थीं।

इस फैसले में गुजरात हाईकोर्ट का वह आदेश रद्द कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि मेडिसिन और सर्जरी में बैचलर ऑफ आयुर्वेद की डिग्री रखने वाले डॉक्टर को एमबीबीएस डिग्री रखने वाले डॉक्टरों के बराबर माना जाएगा।

नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम फॉर मेडिसिन ने भी 2-जजों की बेंच के फैसले में संशोधन की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले अपने फैसले में मेडिकल की प्रत्येक प्रणाली की अद्वितीय क्षमताओं और सीमाओं पर जोर दिया।

न्यायालय ने कहा था,

"हमें यह नहीं समझा जाएगा कि मेडिकल की एक प्रणाली दूसरे से बेहतर है। मेडिकल साइंस की इन दो प्रणालियों की सापेक्ष खूबियों का आकलन करना न तो हमारा अधिकार है और न ही हमारी क्षमता में है।"

न्यायालय ने यह भी बताया कि एमबीबीएस डॉक्टरों को जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं में सहायता करने के लिए ट्रेंड किया जाता है। यह एक ऐसा कार्य है, जिसके लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर सक्षम नहीं हैं।

न्यायालय ने विस्तार से कहा,

"इसलिए हमें इसमें कोई संदेह नहीं कि मेडिकल की प्रत्येक वैकल्पिक प्रणाली का इतिहास में अपना गौरवपूर्ण स्थान हो सकता है। लेकिन आज, मेडिकल की स्वदेशी प्रणालियों के डॉक्टर जटिल सर्जिकल ऑपरेशन नहीं करते हैं। आयुर्वेद का अध्ययन इसकी अनुमति नहीं देता कि उन्हें ये सर्जरी करने के लिए कहा गया है।

न्यायालय ने एलोपैथी और आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भूमिकाओं में व्यावहारिक अंतर पर भी प्रकाश डाला।

न्यायालय ने अंततः कहा,

"इसलिए आयुर्वेद डॉक्टर के महत्व और मेडिकल की वैकल्पिक/स्वदेशी प्रणालियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता को पहचानते हुए भी हम इस तथ्य से अनजान नहीं हो सकते हैं कि दोनों श्रेणियों के डॉक्टर निश्चित रूप से समान कार्य करने के लिए समान कार्य नहीं कर रहे हैं।"

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