11 अगस्त से किसी भी डेजिग्नेट सीनियर एडवोकेट को मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी: चीफ जस्टिस बीआर गवई

Update: 2025-08-06 05:48 GMT

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि अगले सोमवार (11 अगस्त) से कोर्ट संख्या 1 में किसी भी डेजिग्नेट सीनियर एडवोकेट को मौखिक रूप से मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी।

चीफ जस्टिस गवई ने यह बयान तब दिया, जब सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी मामले का मौखिक उल्लेख करने के लिए उपस्थित हुए। चीफ जस्टिस ने कहा कि जूनियर एडवोकेट्स को यह अवसर अवश्य दिया जाना चाहिए।

चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस नियम को अगले सोमवार से ही प्रभावी कर रहे हैं ताकि सभी को इसकी जानकारी मिल सके।

सिंघवी मामले का उल्लेख करने के लिए खड़े हुए तो चीफ जस्टिस ने उनसे कहा,

"सीनियर एडवोकेट्स द्वारा उल्लेख करने पर रोक लगाने की बहुत मांग है।"

सिंघवी ने उत्तर दिया,

"अगर इसे समान रूप से लागू किया जाए तो मैं इसके पक्ष में हूं।"

चीफ जस्टिस ने कहा,

"हम इसे लागू करेंगे। किसी भी सीनियर एडवोकेट को उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी। जूनियर एडवोकेट्स को अवसर दिया जाना चाहिए।"

चीफ जस्टिस गवई ने कोर्ट मास्टर को इस संबंध में एक नोटिस प्रकाशित करने के लिए कहा,

"सोमवार से कोर्ट नंबर 1 में किसी भी सीनियर वकील को मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी। कोई भी नामित वरिष्ठ वकील नहीं होगा। सोमवार से हम इसका पालन करेंगे। ताकि किसी को आश्चर्य न हो।"

सिंघवी ने सुझाव दिया,

"इसे सभी अदालतों में एक समान बनाया जा सकता है।"

चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इसे केवल अपनी पीठ में ही लागू कर सकते हैं।

चीफ जस्टिस ने कहा,

"कम से कम कोर्ट नंबर 1 में तो इसकी अनुमति नहीं होगी। जूनियर्स को मौके मिलने चाहिए।"

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