Nithari Killings : सुप्रीम कोर्ट ने कोली और पंढेर को बरी करने के खिलाफ CBI की अपील खारिज की, मीडिया के दबाव को झेलने के लिए हाईकोर्ट की सराहना की
सुप्रीम कोर्ट ने 2005-2006 के नोएडा सीरियल मर्डर केस, जिसे आमतौर पर निठारी हत्याकांड के नाम से जाना जाता है, उसके आरोपी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी करने का फैसला बरकरार रखा।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने CBI और पीड़ित परिवारों की कुल 14 अपीलों को खारिज कर दिया, जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी दोषसिद्धि और मृत्युदंड रद्द करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट का एक तर्कसंगत आदेश जल्द ही आने की उम्मीद है।
जस्टिस गवई ने टिप्पणी की,
"हाईकोर्ट के जजों द्वारा ऐसा निर्णय लिखना सराहनीय है। मीडिया का बहुत दबाव रहा होगा वगैरह। इस दबाव को झेलते हुए उन्होंने ऐसा... यह कहते हुए खेद हो रहा है कि निचली अदालत ने मीडिया ट्रायल के आधार पर ही निर्णय दिया होगा।"
उन्होंने आगे कहा कि अपीलकर्ता हाईकोर्ट के निर्णय में एक भी त्रुटि नहीं बता पाए।
पंधेर को उसके विरुद्ध सभी मामलों में बरी कर दिया गया, जबकि कोली जेल में ही है, क्योंकि 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सिलसिलेवार हत्याओं से संबंधित अन्य मामले में उसकी हत्या के दोषसिद्धि और मृत्युदंड बरकरार रखा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015 में कोली की दया याचिका पर निर्णय में "अत्यधिक देरी" के कारण उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
सुनवाई के दौरान, खंडपीठ ने पाया कि पंधेर के घर के पीछे का वह क्षेत्र जहां पीड़ितों के अवशेष मिले थे, अभियुक्तों के लिए विशेष रूप से सुलभ नहीं था।
जस्टिस गवई ने कहा,
"कानून यह है कि अवशेषों को केवल अभियुक्तों को ज्ञात स्थान से ही बरामद किया जाना चाहिए और केवल अभियुक्त ही वहां पहुंच सकता है।"
निठारी हत्याकांड दिसंबर 2006 में तब प्रकाश में आया, जब नोएडा के निठारी इलाके में पंढेर के घर के पीछे एक नाले में कई बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। कोली उस घर में घरेलू नौकर के रूप में कार्यरत था।
CBI ने 16 मामले दर्ज किए, जिनमें कोली के खिलाफ हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूत मिटाने के आरोप लगाए गए। पंढेर पर शुरुआत में अनैतिक तस्करी के मामले में आरोपपत्र दायर किया गया, लेकिन बाद में कई पीड़ितों के परिवारों द्वारा दायर याचिकाओं पर गाजियाबाद कोर्ट ने उसे पांच और मामलों में तलब किया।
CBI ने आरोप लगाया कि कोली ने कई लड़कियों की हत्या की, उनके शवों के टुकड़े किए और उनके अवशेषों को पंढेर के घर के पिछवाड़े में फेंक दिया। कुल 19 पीड़ितों के अवशेष कथित तौर पर बरामद किए गए।
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपीलों का समूह, जिनमें से अधिकांश CBI और राज्य प्राधिकारियों द्वारा दायर की गईं, ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अक्टूबर, 2023 के उस फैसले को चुनौती दी थी। इसमें सुरेंद्र कोली और सह-आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने पाया कि निठारी में हुई हत्याओं के पीछे अंग व्यापार की संभावना की CBI द्वारा जांच नहीं की गई, जबकि बगल के घर के निवासी को पहले ही किडनी घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका था।
कोली को पहले 12 मामलों में दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई, जबकि पंढेर को दो मामलों में दोषी ठहराया गया। जुलाई 2024 में नोटिस जारी होने के बाद याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।
इस वर्ष की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों पर सुनवाई के दौरान राज्य प्राधिकारियों के आचरण पर असंतोष व्यक्त किया था।
3 अप्रैल को जस्टिस गवई ने कहा कि कोई भी बहस करने को तैयार नहीं था, जिससे "केंद्र/CBI की बहुत ही दयनीय स्थिति" सामने आई।
कोली की ओर से पेश हुए वकील ने उस समय तर्क दिया कि राज्य का मामला "खोखला" है, जिसमें एकमात्र सबूत 60 दिनों की हिरासत के बाद CrPC की धारा 164 के तहत दिया गया इकबालिया बयान और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत बरामदगी है। उन्होंने दलील दी कि मामला वास्तव में अंग-व्यापार का था, जिसे अभियोजन पक्ष ने नरभक्षण और यौन विकृतियों का मामला बताकर गलत तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने पीड़ितों के खून से सने कपड़े, हत्या के हथियार या धड़ की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला और बताया कि बरामद शरीर के अंगों को सर्जरी की सटीकता से काटा गया।
Case Title – State through Central Bureau of Investigation v. Surender Koli Etc. and connected cases