'एनडीपीएस एक्ट की धारा 67 के तहत अधिकारियों को दिए गए आरोपियों के बयान सबूत के तौर पर अस्वीकार्य': सुप्रीम कोर्ट ने 'तोफन सिंह' जजमेंट को लागू किया

Update: 2021-10-28 02:55 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत एक मामले में आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को यह देखते हुए खारिज किया कि मामला धारा 67 के तहत अधिकारियों को दिए गए अन्य आरोपियों के बयानों पर आधारित था, जो सबूत में अस्वीकार्य हैं।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि पिछले साल तोफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि एनडीपीएस अधिकारियों के सामने दिए गए इकबालिया बयान सबूत के तौर पर अस्वीकार्य हैं।

पीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें निचली अदालत द्वारा एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27ए और 29 के तहत आरोपी को बरी किए जाने के फैसले को पलट दिया गया था।

हाईकोर्ट के समक्ष भी आरोपियों ने यह तर्क दिया था कि धारा 67 के बयानों के अलावा उनके खिलाफ कोई अन्य सबूत नहीं है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने पाया कि एक बार अभियुक्तों के खिलाफ कुछ सामग्री थी। इसलिए निचली अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त करना उचित नहीं समझा।

हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने तोफान सिंह मामले में फैसले के मद्देनजर धारा 67 के बयानों पर भरोसा करने में गलती की।

कोर्ट ने कहा,

"तोफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य, (2021) 4 एससीसी 1 में इस न्यायालय के फैसले के आलोक में एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत अन्य आरोपियों द्वारा दिए गए बयानों पर भरोसा करने में उच्च न्यायालय सही नहीं था।"

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तथ्यात्मक स्थिति यह है कि दो अपीलकर्ताओं के परिसर से कोई भी मादक पदार्थ या मन:प्रभावी पदार्थ बरामद नहीं किया गया था।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 4 किलोग्राम एसिटिक एनहाइड्राइड (नियंत्रित पदार्थ) कथित तौर पर ज्ञान वैज्ञानिक एजेंसी, वाराणसी में स्थित अपीलकर्ताओं के परिसर से पाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 9ए और 25 के तहत आरोप तय करने में हस्तक्षेप नहीं किया, जिन्हें चुनौती नहीं दी गई थी। हालांकि धारा 27ए और 29 के तहत लगाए गए आरोप खारिज कर दिए गए।

मामले का विवरण

केस का शीर्षक: संजीव चंद्र अग्रवाल एंड अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

बेंच: जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी

उपस्थिति: अपीलकर्ताओं के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासुदेवन, भारत संघ के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू

प्रशस्ति पत्र : एलएल 2021 एससी 586

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:




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