बेंगलुरु कोर्ट ने मैसूर लोकायुक्त पुलिस को सीएम सिद्धारमैया से जुड़े MUDA मामले की जांच करने का निर्देश दिया

Update: 2024-09-25 10:49 GMT

बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बुधवार को मैसूर लोकायुक्त पुलिस को कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और अन्य शामिल हैं।

विशेष अदालत के जज संतोष गजानना भट ने स्नेहमयी कृष्णा की निजी शिकायत पर यह आदेश पारित किया। अदालत ने पुलिस को मामले की जांच करने और 90 दिनों के भीतर अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

यह आदेश कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज करने के एक दिन बाद आया है जिसमें कथित घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द करने की मांग की गई थी।

याचिका पर सुनवाई लंबित रहने के दौरान अदालत ने अंतरिम आदेश के जरिए निजी शिकायतों पर निचली अदालत में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने दायर याचिका को खारिज करते हुए अंतरिम आदेश को भंग कर दिया था।

राज्यपाल ने 17 अगस्त को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17 A के अनुसार जांच के लिए मंजूरी दी थी और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 218 के अनुसार अभियोजन के लिए मंजूरी दी थी।

मुख्यमंत्री की याचिका में दावा किया गया था कि मंजूरी का आदेश बिना दिमाग लगाए वैधानिक जनादेश का उल्लंघन करते हुए और मंत्रिपरिषद की सलाह सहित संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत जारी किया गया था, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी है। यह भी दावा किया गया कि मंजूरी का आदेश दुर्भावनापूर्ण है और राजनीतिक कारणों से कर्नाटक की विधिवत निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के ठोस प्रयास का हिस्सा है।

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा, 'यह स्वीकार करना मुश्किल है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुडा की जमीन के लेन-देन के दौरान पर्दे के पीछे नहीं थे, जिसमें उनके परिवार ने कथित तौर पर करीब 56 करोड़ रुपये का फायदा लिया।

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