मोटर दुर्घटना दावा - न्यूनतम वेतन अधिसूचना वेतन प्रमाण पत्र के अभाव में मृतक की आय तय करने का एक पूर्ण पैमाना नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2021-10-04 06:13 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन दुर्घटना मामले में मुआवजे की गणना पर कहा है कि केवल इसलिए कि दावेदार ने मृतक की मासिक आय का दस्तावेजी सबूत पेश नहीं किया है, मृतक की आय की गणना के लिए न्यूनतम मजदूरी का निम्नतम स्तर अपनाने का कोई औचित्य नहीं है।

कोर्ट ने चंद्रा@ चंदा बनाम मुकेश कुमार यादव और अन्य के मामले में कहा, "वेतन प्रमाण पत्र के अभाव में न्यूनतम वेतन अधिसूचना एक पैमाना हो सकती है लेकिन साथ ही मृतक की आय तय करने के लिए एक पूर्ण तरीका नहीं हो सकता है। रिकॉर्ड पर दस्तावेजी साक्ष्य के अभाव में कुछ अनुमान लगाने की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही मृतक की आय का आकलन करने के लिए अनुमान को वास्तविकता से पूरी तरह से अलग नहीं किया जाना चाहिए।"

जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने सड़क दुर्घटना में मारे गए मृतक के माता-पिता की ओर से दायर याचिका, जिसमें मुआवजे को बढ़ाने की मांग की गई थी, उस पर सुनवाई में यह टिप्पणी की। मृतक भारी वाहन का ड्राइवर था। ट्रिब्यूनल ने वर्ष 2016 में कुशल श्रम के लिए अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी को अपनाकर मृतक की मासिक आय तय करके मुआवजे की गणना की, जिसे याचिका में चुनौती दी गई। ट्रिब्यूनल ने मृतक की आय 5746 रुपये तय की थी।

जब हाईकोर्ट ने मुआवजे में वृद्धि के लिए उनकी अपील को खारिज कर दिया, तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में ही पाया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अस्पष्ट आदेश के जर‌िए अपील में उठाए गए विभिन्न आधारों पर विचार किए बिना अपीलकर्ताओं द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।

खंडपीठ ने पाया है कि दावेदारों का मामला यह है कि मृतक के पास भारी वाहन चलाने का ड्राइविंग लाइसेंस था और वह प्रति माह 15000 रुपये कमा रहा था, और इस प्रकार के लाइसेंस को रखना और दुर्घटना के दिन भारी वाहन चलाना रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य से साबित होता है।

पीठ ने पाया है कि मृतक की पत्नी के मौखिक साक्ष्य को खारिज करने का कोई कारण नहीं है, जिसने यह बयान दिया था कि उसका मृत पति लगभग 15000 रुपये प्रति माह कमा रहा था।

वर्ष 2016 में कुशल श्रमिकों के लिए अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी को अपनाकर मृतक की मासिक आय तय करने के ट्रिब्यूनल के फैसले के संबंध में, कोर्ट ने कहा है कि वेतन प्रमाण पत्र के अभाव में न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना एक पैमाना हो सकता है लेकिन साथ ही मृतक की आय तय करने के लिए यह मात्र पैमाना नहीं हो सकता।

पीठ ने कहा, "रिकॉर्ड पर दस्तावेजी साक्ष्य के अभाव में कुछ अनुमान लगाने की आवश्यकता है। लेकिन साथ ही मृतक की आय का आकलन करने के लिए अनुमान को वास्तविकता से पूरी तरह से अलग नहीं किया जाना चाहिए।"

अदालत ने कहा, "सिर्फ इसलिए कि दावेदार शिवपाल की मासिक आय दिखाने के लिए दस्तावेजी सबूत पेश करने में असमर्थ थे, यह आय की गणना करते समय न्यूनतम वेतन के निम्नतम स्तर को अपनाने को उचित नहीं ठहराता है ।"

वाहनों की आबादी में भारी वृद्धि और अच्छे चालकों की मांग को ध्यान में रखते हुए और रिकॉर्ड पर मौखिक साक्ष्य पर विचार करके, न्यायालय ने मृतक की मासिक आय 8000 रुपये प्रति माह निर्धारित की। अपील की अनुमति देते हुए, खंडपीठ ने दावेदारों को 14,33,664 रुपये के मुआवजे और अपीलकर्ता माता-पिता को कुल 4,13,964 रुपये के मुआवजे का हकदार पाया।

केस टाइटल: चंद्रा @ चंदा बनाम मुकेश कुमार यादव और अन्य

‌सिटेशन: एलएल 2021 एससी 532

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