बिना किसी प्रमाण के जीवन के खतरे की आशंका मात्र सीआरपीसी की धारा 406 के तहत आपराधिक मामले को स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायत दर्ज किए बिना या कथित आधार को प्रमाणित किए बिना केवल जान के खतरे की आशंका किसी मामले को स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।
मामले में दायर याचिका में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जम्मू की अदालत में लंबित धारा 420 और धारा 506 आईपीसी के तहत दायर शिकायत को दिल्ली स्थित तीस हजारी अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
याचिका में उठाए गए आधारों में से एक यह था कि जान के खतरे की आशंका है।
कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता द्वारा संबंधित अधिकारियों या किसी भी न्यायालय के समक्ष कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है। केवल जान के खतरे की आशंका शिकायत दर्ज किए बिना या उक्त आधार को प्रमाणित किए बिना मामला स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।"
याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट लेने के लिए पुनीत डालमिया बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, हैदराबाद, 2020, 12 एससीसी 695 में दिए निर्णय पर भी भरोसा किया था।
कोर्ट ने कहा, "उक्त मामले (पुनीत डालमिया बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, हैदराबाद सुप्रा) के तथ्यों पर विचार करते हुए, जिसमें अदालत ने छूट से इनकार कर दिया था और जैसाकि याचिकाकर्ता द्वारा प्रार्थना की गई थी, इस न्यायालय ने उक्त मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी थी। पुनीत डालमिया बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, हैदराबाद (सुप्रा) में इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश केवल आशंका के आधार पर मौजूदा स्थानांतरण याचिका में लागू नहीं होता है।"
इसलिए पीठ ने स्थानांतरण याचिका खारिज कर दी।
केस शीर्षक और उद्धरण: दिनेश महाजन बनाम विशाल महाजन | एलएल 2021 एससी 620
मामला संख्या और तारीख: Tr.P(C) 442/2021 | 26 अक्टूबर 2021
कोरम: जस्टिस जेके माहेश्वरी
आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें