एक समुदाय के रूप में वकीलों को मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना चाहिए-डॉ विक्रम पटेल
लाइव लाॅ द्वारा 'डिप्रेशन एंड अदर साइकोलॉजिकल इश्यूज अमंग लाॅयर्स' नामक वेबिनार का आयोजन किया गया था। इस वेबिनार की मेजबानी डॉ विक्रम पटेल ने की थी। डॉ विक्रम पटेल हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के ग्लोबल हेल्थ एंड सोशल मेडिसिन विभाग में ग्लोबल हेल्थ के पर्शिंग स्क्वायर प्रोफेसर हैं। उनको कई सम्मान मिले हुए हैं और उन्होंने वेबिनार में बोलने का निमंत्रण तत्परता से स्वीकार लिया था।
वेबिनार का संचालन सीनियर एडवोकेट श्री प्रशांतो सेन,एडवोकेट श्री रणवीर सिंह और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड श्री पल्लव मोंगिया द्वारा किया गया।
वेबिनार की शुरूआत सीनियर एडवोकेट श्री प्रशांतो सेन ने की। उन्होंने आज के कठिन समय में इस तरह की चर्चाओं की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि हमारे आसपास की हर चीज में पूरी तरह से अनिश्चितता है। हमारा पेशा स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धी है। कानून प्रणाली की संरचनाएं उत्कंठा उत्पन्न करती हैं। वहीं वित्तीय असुरक्षा, अवसर की असमानता, भाई-भतीजावाद आदि इसको बढ़ावा देते हैं।
हमारे पेशे से उत्पन्न असुरक्षाओं को वर्तमान समय ने और बढ़ा दिया है। पिछले कुछ दिनों में वकीलों द्वारा की गई आत्महत्या की घटनाएं एक गंभीर चेतावनी वाला संकेत है जो यह निर्धारित करती हैं कि कैसे प्रतिक्रिया दी जाए। इसके बाद उन्होंने डॉ विक्रम को आमंत्रित किया ताकि वह अपना ज्ञान साझा कर सकें और वर्तमान स्थिति से निपटने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन कर सकें।
डॉ विक्रम ने मानसिक स्वास्थ्य के पीछे के विज्ञान की व्याख्या की और इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने समझाया कि हम क्या हैं और हमारी पहचान हमारे मानसिक स्वास्थ्य से परिभाषित होती है। यह हमारी क्षमताओं के लिए केंद्रीय बिंदु है।
उन्होंने बताया कि चिंता या उत्कंठा की जड़ में अनिश्चितता है। आज यह एक बहुत बड़ा स्वास्थ्य जोखिम है। हमारे विचारों पर इस महामारी के प्रभाव पर चर्चा करने के बाद उन्होंने इसके समाधानों के बारे में बताया।
उन्होंने सलाह दी कि इसके उपचार हमारे चारों तरफ फैले हुए हैं। एक समुदाय के रूप में वकीलों को मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने की क्षमता ही इसके समाधान का एक हिस्सा है। इसके लिए टेली-काउंसलिंग सेवाओं का सहारा लिया जाना चाहिए। जिनकी सहायता से मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप और काउंसलिंग सेशन किए जा सकते हैं और उनके लिए किसी दवा की आवश्यकता नहीं होती है।
उन्होंने एनजीओ संगथ का उदाहरण भी दिया जिसका मुख्यालय गोवा में है। इस पर एडवोकेट श्री रणवीर सिंह ने एक सवाल पूछा कि क्या इस एनजीओं के साथ बार एसोसिएशन मिलकर इस दिशा में काम कर सकती है। इस पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रयास किए जा सकते हैं या संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं।
डॉ पटेल ने व्यावहारिक सलाह देते हुए बताया कि कैसे पता करें कि किसी को मदद की जरूरत है। उन्होंने बताया कि विशिष्ट संकेतों और लक्षणों में चिड़चिड़ा महसूस करना, भविष्य के बारे में लगातार भयभीत होना, आमतौर पर किसी भी चीज का आनंद न ले पाना, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता, उदासीन महसूस करना, शांति से आराम न कर पाना, नींद न आना आदि शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि एक उपाय हमेशा उपलब्ध है,वो है किसी से बातचीत करना। ''बात करना ठीक है'' एक स्लोगन होना चाहिए। अगर कोई बात करता है तो उसकी बात को सुनें। दूसरों की बात सुनना और उनकी देखभाल करना हमेशा वक्ता और श्रोता दोनों के लिए अच्छा होता है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के लिए स्वस्थ संबंध होना सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। हर किसी को अनिश्चितता से खुद को बचाने के तरीके खोजने चाहिए। जिसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपने आप को अपनी रूचि के कामों में व्यस्त करके रखें। ध्यान लगाना भी इसमें बहुत मदद करता है।
डॉ पटेल ने उसके बाद सवालों के जवाब देने शुरू किए। जिनका पूरी तरह से संचालन अधिवक्ता श्री रणवीर सिंह द्वारा किया गया। इस सत्र के समापन के समय श्री पल्लव मोंगिया के सभी का धन्यवाद किया। उन्होंने डाॅ पटेल का भी धन्यवाद किया। चूंकि डाॅ पटेल ने घर पर ही इन समस्याओं के निपटने के व्यावहारिक समाधान व अंतर्दृष्टि दी। वहीं यह भी बताया कि इस तरह की समस्याओं से निपटने में मदद करने के लिए संस्थागत और सहकर्मी स्तर पर किस तरह के बदलाव की आवश्यकता हैं।
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