स्थानीय निकायों में 33% महिला आरक्षण के लिए कानून बना; अप्रैल, 2024 तक पूरे होंगे चुनाव: नागालैंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया
सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड के मुख्य सचिव की ओर से दायर हलफनामे पर विचार किया। उसी ने पुष्टि की कि नागालैंड नगरपालिका अधिनियम, 2023, नागालैंड विधानसभा द्वारा 9.11.2023 को पारित किया गया। यह अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करता है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243T (सीटों का आरक्षण) के अनुसार है।
जस्टिस एस.के. कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और महिला अधिकार कार्यकर्ता रोज़मेरी दवुचु द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नागालैंड विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी। उक्त प्रस्ताव में भारत के संविधान के भाग IXA के संचालन से छूट दी गई थी, जिसमें राज्य की नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण अनिवार्य है।
इससे पहले, नवंबर में राज्य वकील ने अदालत को सूचित किया कि विधानसभा ने आरक्षण विधेयक पारित कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, यह प्रस्तुत किया गया कि नियम एक महीने के भीतर तैयार किए जाएंगे और चुनाव प्रक्रिया 30.4.2024 तक समाप्त हो जाएगी। इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने हलफनामा दाखिल करने का निर्देश पारित किया और मामले को वर्तमान सुनवाई तक के लिए स्थगित कर दिया।
मामला जब सुनवाई के लिए आया तो राज्य के वकील ने पीठ को सूचित किया कि पिछली बार दिए गए बयान के अनुसार हलफनामा दायर किया गया।
तदनुसार, खंडपीठ ने आदेश दिया:
“नागालैंड के मुख्य सचिव की ओर से हलफनामा दायर किया गया, जिसमें पुष्टि की गई कि नागालैंड नगरपालिका अधिनियम, 2023 नागालैंड विधानसभा द्वारा 9.11.2023 को पारित किया गया और राज्यपाल की सहमति प्राप्त करने के बाद उसी दिन राजपत्रित किया गया। आगे कहा गया कि नियम एक महीने के भीतर... 8 जनवरी 2024 तक या उससे पहले तैयार कर दिए जाएंगे और चुनाव प्रक्रिया अप्रैल 2024 तक पूरी कर ली जाएगी। अवमानना के नोटिस को अगली तारीख पर हटाया जा सकता है। तब तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।”
जस्टिस कौल ने कुछ प्रासंगिक मौखिक टिप्पणियां कीं,
“मैंने हमेशा महसूस किया है कि समाज का महिला वर्ग वहां बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन किसी तरह चुनावी प्रक्रियाओं में इसे केवल पुरुषों पर ही छोड़ दिया जाता है... कभी-कभी सामाजिक बदलावों में थोड़ा अधिक समय लग जाता है।'
पिछली सुनवाई की संक्षिप्त पृष्ठभूमि
अप्रैल 2022 में नागालैंड राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि राज्य सरकार ने सभी हितधारकों की उपस्थिति में परामर्शी बैठक आयोजित करने के बाद स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करने का प्रस्ताव पारित किया।
इसके बाद 29 जुलाई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को जनवरी 2023 तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया। जनवरी, 2023 में राज्य चुनाव आयोग द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, राज्य सरकार ने उससे चुनाव कार्यक्रम प्रदान करने के लिए कहा।
इसके जवाब में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित करने के दो विकल्प उपलब्ध कराए गए। खंडपीठ ने राज्य चुनाव आयोग को स्थानीय निकाय चुनावों को जल्द से जल्द अधिसूचित करने और 14 मार्च 2023 तक आधिकारिक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
14 मार्च, 2023 को नागालैंड राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव अधिसूचित कर दिए गए हैं और 16 मई 2023 को होने हैं। तदनुसार, न्यायालय ने निर्देश दिया कि आयोग द्वारा अधिसूचित चुनाव कार्यक्रम किसी भी कीमत पर परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट के आदेश के बाद 29 मार्च को नागालैंड विधानसभा ने नागालैंड नगरपालिका अधिनियम, 2001 रद्द कर दिया, जिसके तहत चुनाव प्रक्रिया की घोषणा की गई थी। इसके अनुसरण में नागालैंड चुनाव आयोग ने 30 मार्च को आदेश जारी कर चुनाव कार्यक्रम रद्द कर दिया।
अप्रैल में जब मामला दोबारा सुनवाई के लिए आया तो कोर्ट चुनाव रद्द करने से नाराज हो गया। न्यायालय ने उपर्युक्त आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन न करने पर अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग करने वाली पीयूसीएल की अर्जी पर भी नोटिस जारी किया। राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग दोनों को नोटिस जारी किया गया।
केस टाइटल: पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) बनाम नागालैंड राज्य, डायरी नंबर- 26940 - 2012