Judicial Service | युवा वकीलों की उदासीनता पर सुप्रीम कोर्ट पदोन्नति के अवसरों की कमी की करेगा जांच
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सेवा में प्रवेश स्तर के पदों पर पदोन्नति के अवसरों की कमी के मुद्दे की जांच करने का निर्णय लिया, जिसके कारण कई प्रतिभाशाली युवा वकील सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद पर सेवा देने से कतरा रहे हैं।
यह मुद्दा अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ मामले में एमिक्स क्यूरी रहे सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ भटनागर ने उठाया। उन्होंने कई राज्यों में "विषम स्थिति" पर प्रकाश डाला, जहां न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (JMFC) के रूप में भर्ती किए गए न्यायिक अधिकारी अक्सर हाईकोर्ट जज के पद तक पहुंचना तो दूर प्रिंसिपल जिला जज के स्तर तक भी नहीं पहुंच पाते।
उन्होंने JMFC संवर्ग से शुरू में चयनित जजों की पदोन्नति के लिए प्रिंसिपल जिला जजों के संवर्ग से कुछ प्रतिशत पद आरक्षित करने का प्रस्ताव रखा।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने इसे "महत्वपूर्ण मुद्दा" बताते हुए इस पर विस्तार से विचार करने पर सहमति व्यक्त की।
खंडपीठ ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों/प्रशासकों और सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को नोटिस जारी किया।
राज्यों और हाईकोर्ट को निर्देश दिया गया कि वे 1 अक्टूबर, 2025 तक या उससे पहले एमिक्स क्यूरी को अग्रिम प्रति के साथ अपने जवाब दाखिल करें।
इस मामले पर 7 अक्टूबर, 2025 को विचार किया जाएगा।
Case : All India Judges Association v Union of India | WP(c) 1022/1989