'न्यायिक अवसंरचना केवल प्रशासनिक चिंता का विषय नहीं, यह न्याय की धारणा और क्रियान्वयन को भी आकार देती है': जस्टिस सूर्यकांत
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने रविवार को मद्रास हाईकोर्ट में एक विरासत भवन के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।
उन्होंने कहा,
"मद्रास हाईकोर्ट, संस्थागत प्रतिबद्धता के संरक्षक और न्याय के प्रति हमारी सामूहिक खोज के प्रतीक के रूप में भारत के प्रतिष्ठित हाईकोर्ट्स में सर्वोच्च स्थान रखता है। 1862 में अपनी स्थापना के बाद से इस कोर्ट ने न्यायविदों की एक शानदार परंपरा को पोषित किया। आज हम जिस पुनर्निर्मित विरासत भवन का उद्घाटन कर रहे हैं, वह उस परंपरा को और मजबूत करता है। हमारे न्यायालय भवन का भौतिक और नैतिक विस्तार एक विशेष भावनात्मक प्रतिध्वनि रखता है।"
उन्होंने आगे कहा,
"न्यायिक बुनियादी ढांचा केवल वास्तुकला की भव्यता के बारे में नहीं है। यह न्याय के बारे में है। न्याय को समय पर निष्पक्ष और कुशल बनाने के लिए न्यायालयों को भौतिक, तकनीकी और मानवीय रूप से सही वातावरण प्रदान करना आवश्यक है। बुनियादी ढांचे में निवेश केवल दिखावा नहीं, बल्कि अनिवार्य है। प्रत्येक नया कोर्ट रूम, प्रत्येक डिजिटल टर्मिनल की स्थापना, प्रत्येक बेंच को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाना, ये सभी सूक्ष्म तरीकों से न्याय की पहुंच का विस्तार करते हैं।"
उन्होंने कहा कि न्याय मानवीय निष्ठा पर निर्भर करता है। हालांकि, यह संस्थागत समर्थन पर भी फलता-फूलता है। जब जज, वकील और कर्मचारी गरिमा और सहजता के वातावरण में कार्य करते हैं तो इससे उनकी स्पष्टता, धैर्य और उदासीनता बढ़ती है।
उन्होंने कहा,
"बुनियादी ढांचा केवल एक प्रशासनिक चिंता का विषय नहीं है। यह एक ऐसा साधन है, जो न्याय की धारणा और वितरण को आकार देता है।"
पिछले दशकों में न्यायिक बुनियादी ढांचे में हुए निवेश के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा,
"इस प्रकार के निवेश को जनता के विश्वास में निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए। न्याय प्रणाली उन कुछ सार्वजनिक संस्थानों में से नहीं है, जहां थोड़ी सी भी शिथिलता मानव स्वतंत्रता को सीधे प्रभावित करती है।"
उन्होंने अंत में कहा,
"सम्मानपूर्वक कार्य करने वाली न्यायपालिका नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की गारंटी देती है। यह सुनिश्चित करती है कि न्याय केवल भौगोलिक संयोग न हो, बल्कि पूरे देश में समान रूप से पूरा किया जाने वाला वादा हो। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह पुनर्निर्मित भवन पुराने और नए के एकीकरण, विद्वत्ता और सेवा की निरंतरता और परिवर्तन का प्रतीक बनेगा।"