जस्टिस लोकुर ने पूछा, "यह अच्छा है कि आर्यन खान को जमानत मिल गई लेकिन ऐसे 2 लाख अन्य मामलों का क्या, जो लंबित हैं?"

Update: 2021-11-02 07:33 GMT

"यह अच्छा है कि आर्यन खान को जमानत मिल गई लेकिन ऐसे 2 लाख अन्य मामलों का क्या, जो लंबित हैं?"

जस्टिस मदन बी लोकुर ने यह सवाल उठाया है। वह उत्तर प्रदेश में हुए एनकाउंर्स पर यूथ फॉर ह्यूमन राइट्स डॉक्यूमेंटेशन, सिटीजन्स अगेंस्ट हेट और पीपल्स वॉच की और से जारी र‌िपोर्ट, जिसका शीर्षक 'एक्सटिंगुइशिंग लॉ इन लाइफ: पुलिस किलिंग्स एंड कवर-अप इन द स्टेट ऑफ यूपी' है, के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। जस्टिस लोकुर के व्याख्यान का विषय- 'एनकाउंटर' किलिंग्स इन इंडिया' था

उल्लेखनीय है कि दो अक्टूबर को एनसीबी जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के इंटरनेशनल टर्मिनल पर एक क्रूज शिप 'कॉर्डेलिया क्रूज लाइनर' पर छापेमार की। एनसीबी ने कथित तौर पर मध्यम और कम मात्रा में कोकीन, एमडीएमए (एक्स्टसी), चरस और 1,33,000 रुपये नकद बरमाद करने का दावा किया था। मौके पर आठ लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें अर्यान खान, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमीचा भी शामिल थे। उन पर एनडीपीएस एक्‍ट की धारा 8 (सी) के साथ 20 बी (खरीद), 27 (खपत), 28 (अपराध करने का प्रयास), 29 (उकसाना / साजिश) और 35 (दोषपूर्ण मानसिक स्थिति का अनुमान) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

20 अक्टूबर को जज वीवी पाटिल की विशेष एनडीपीएस अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि यह प्रथम दृष्टया साजिश का मामला है, अवैध नशीली दवाओं का व्यापार किया गया है। विशेष जज ने कहा था, व्हाट्सएप चैट से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि आरोपी आर्यन खान नशीले पदार्थों के लिए अवैध नशीली दवाओं की गतिविधियों में नियमित रूप से शामिल है।

कथित तौर पर अरबाज मर्चेंट के जूते से 6 ग्राम और मुनमुन धमीचा के कमरे से 5 ग्राम चरस बरामद की गई थी। आर्यन खान के पास से कोई बरामदगी नहीं हुई थी। हालांकि, एनसीबी ने खान और धमीचा पर 'सचेत कब्जे' (conscious possession) का आरोप लगाया है। अंतत: 28 अक्टूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कथित क्रूज शिप ड्रग मामले में खान, मर्चेंट और धमीचा को जमानत दे दी।

खान की ओर से पेश सीन‌ियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि उनकी गिरफ्तारी संविधान के अनुच्छेद 22 के सरासर खिलाफ है क्योंकि उन्हें गिरफ्तारी के सही आधार के बारे में सूचित नहीं किया गया था। उन्होंने प्रतिबंधित पदार्थ के "सचेत कब्जे" के आरोपों से भी इनकार किया, जो उनके दोस्त अरबाज (6 ग्राम चरस) से बरामद किया गया था।



 


"आपके पास दो लाख जमानत आवेदन लंबित हैं। हम आर्यन खान की जमानत के बारे में बात कर रहे हैं। अच्छा है कि उन्हें जमानत मिल गई है। लेकिन ऐसे दो लाख अन्य मामले लंबित हैं!" जस्टिस लोकुर ने कहा।

उन्होंने पूछा, "आपको अचरज होगा- मैंने आज सुबह जांच की पाया कि 28 लाख ऐसे मामले लंबित हैं, जहां आरोपी फरार है! और यदि प्रत्येक मामले में केवल एक आरोपी शामिल है तो ऐसे 28 लाख लोग हैं, जो फरार हैं! न्याय वितरण क्या है, सिस्टम इसके बारे में कर रहा है?"

जस्टिस लोकुर ने कहा, "ऐसे 22 लाख गवाह हैं, जो अदालत में पेश नहीं हुए हैं। मामले स्थगित किए जा रहे हैं। न्यायपालिका इसके बारे में क्या कर रही है? एनकाउंटर को अंतिम चरण माना जाता है। लेकिन मेरे अनुसार, उसके बाद एक और चरण है - जब व्यक्ति यानी पीड़ित, पूरी तरह से गायब हो जाता है। हम चौथे चरण के बारे में बात कर रहे हैं और यह उस तरह का न्याय है, जो शायद दिया जा रहा है।"

उन्होंने बताया, "निचली अदालतों में 2.95 करोड़ आपराधिक मामले लंबित हैं। हम उनका निस्तारा कैसे कर रहे हैं? लोग तंग आ जाएंगे। फिर वे कहेंगे 'मैं कानून अपने हाथ में लूंगा'। तब आपके सामने एक बड़ी समस्या होगी!"

ज‌स्टिस लोकुर ने जोर देकर कहा कि "एनकाउंटर में हो रही हत्याओं का, लोगों को उठाकर गायब करने का कोई औचित्य नहीं है"

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि बहुत देर हो सकती है। हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गए हैं। कोई सुधार नहीं दिख रहा है ... क्या अभियोजन पक्ष को हर चीज का विरोध करना चाहिए? अगर किसी को पार्किंसंस है और वह पानी पीने के लिए एक स्ट्रॉ चाहता है (स्वर्गीय फादर स्टेन स्वामी का मामला ) तो इसका भी विरोध होगा? क्यों? क्या आप 24 घंटे से अधिक समय तक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए बिना लोगों को हिरासत में रख सकते हैं? हमने कुछ हफ्ते पहले ऐसा होते देखा। हमने अखबारों में पढ़ा कि एक राज्य में 700 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ... यह बहुत भयावह है ... न्यायपालिका को कुछ करना होगा, सरकार को कुछ करना होगा।"

जस्टिस लोकुर ने जोर देकर कहा, "सुधारों का चरण खत्म हो चुका है, न्यायिक प्रणाली को पूरी तरह से बदलने की जरूरत है। इस पर चर्चा अधिक विस्तृत व्यापक होनी चाहिए कि हम यहां से कहां जा रहे हैं। देश में मानवाधिकारों की स्थिति क्या है, यह किसी को देखना होगा! संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है- न्यायपालिका, पुलिस और अभियोजन पक्ष। इसे समझने की जरूरत है कि एक चीज है जिसे मानवाधिकार कहते हैं, जो सभी के पास है। जब तक उन्हें संदेश नहीं भेजा जाता है, जब तक कि उन्हें एहसास नहीं होता है कि उनकी भारत के संविधान के तहत जिम्मेदारी है, यह ऐसे ही जारी रहेगा, एनकाउंटर में हत्याएं ज्यादा से ज्यादा होंगी।एक राज्य कम खराब था कि दूसरे राज्य ने भी कहा 'हम भी ऐसा करेंगे'। तीसरा राज्य कहेगा 'हमारा क्याहोगा? हम भी एनकाउंटर करते हैं। आपके तीन राज्य, चार राज्य, पांच राज्य हैं, हर जगह एनकाउंटर हत्याएं हैं। इसे रोकना होगा और इसे अब रोकना होगा!"


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