सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू की एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सुनवाई 9 अक्टूबर तक टाली, पूछा- क्या 17ए पीसी एक्ट, 2018 संशोधन से पहले के अपराधों पर लागू है?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कौशल विकास घोटाला मामले में एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू की याचिका अगले सोमवार (9 अक्टूबर) के लिए पोस्ट कर दी।
न्यायालय ने राज्य से हाईकोर्ट के समक्ष दायर दस्तावेजों का पूरा संकलन पेश करने को कहा और मामले को नौ अक्टूबर, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया। आज लगभग 50 मिनट तक चली सुनवाई में ज्यादातर मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए की प्रयोज्यता पर चर्चा हुई।
सुनवाई के दौरान, पीठ ने धारा 17ए पीसी एक्ट की प्रयोज्यता पर यह कहकर सवाल उठाए कि अपराध 2018 संशोधन से पहले किया गया था, जिसमें 17ए शामिल किया गया था।
पीठ ने यह भी पूछा कि क्या 17ए तब लागू होता है जब एफआईआर में न केवल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों का उल्लेख है बल्कि भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों का भी उल्लेख है।
नायडू के वकीलों ने तर्क दिया कि 17ए तब लागू होता है जब 2018 के संशोधन के बाद जांच शुरू होती है, भले ही अपराध इससे पहले के हों। दूसरी ओर, राज्य ने दावा किया कि जांच 2018 से पहले शुरू हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पिछले महीने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री को कौशल विकास घोटाले के आरोपियों में से एक के रूप में शामिल करे वाली एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। नायडू को इस मामले के सिलसिले में 9 सितंबर को राज्य के अपराध जांच विभाग ने गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं।
पृष्ठभूमि
तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू को राज्य में कौशल विकास घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। राज्य अपराध जांच विभाग ने दावा किया है कि इसमें पूर्व मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रथम दृष्टया सबूत हैं। 2014 और 2019 के बीच टीडीपी के शासन के दौरान फर्जी कंपनियों के माध्यम से आंध्र प्रदेश कौशल विकास निगम से लगभग 371 करोड़ रुपये का कथित गबन किया गया था। वह राज्य कौशल विकास निगम से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले से संबंधित 2021 की एफआईआर में 37 वें आरोपी हैं।
विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी के नेता को आंध्र प्रदेश सीआईडी ने 9 सितंबर को गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं। इसके बाद, विजयवाड़ा की एक अदालत ने नायडू को 23 और 24 सितंबर के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। रविवार को नायडू की न्यायिक हिरासत 5 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई।
पिछले हफ्ते, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने की नायडू की याचिका खारिज कर दी थी। अपनी याचिका में, उन्होंने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट के उन्हें हिरासत में भेजने के आदेश में यह नहीं माना कि सीआईडी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के अनुसार राज्यपाल से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने में विफल रही थी।
हालांकि, जस्टिस के श्रीनिवास रेड्डी की पीठ ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी से पूर्व अनुमति जांच के लिए अनावश्यक थी क्योंकि सार्वजनिक धन का उपयोग, कथित तौर पर व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया है, यह आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में नहीं किया गया था। अदालत इस बात पर भी सहमत हुई कि आर्थिक अपराधों की गंभीरता को देखते हुए, जांच में बाधा नहीं डाली जानी चाहिए, खासकर इस शुरुआती चरण में।
इस फैसले को चुनौती देते हुए टीडीपी नेता ने एक विशेष अनुमति याचिका में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
केस डिटेलः नारा चंद्रबाबू नायडू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 12289 2023