"पूजा स्थल कानून ज्ञानवापी मस्जिद पर लागू नहीं" : मस्जिद कमेटी की याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हिंदू सेना अध्यक्ष

Update: 2022-05-16 19:06 GMT

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने ज्ञानवापी मस्जिद-काशीविश्वनाथ मंदिर परिसर में वाराणसी की एक अदालत द्वारा दिए गए सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज करने के निर्देश की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया आदेश, जिसमें वाराणसी कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सर्वेक्षण कार्य जारी रखने का निर्देश दिया गया है, उसे चुनौती देते हुए मस्जिद समिति द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है।

वर्तमान आवेदक ने तर्क दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से छूट दी गई है।

यह प्रस्तुत किया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर काशी विश्वनाथ मंदिर और श्रृंगार गौरी मंदिर प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958) के तहत आते हैं और इसलिए धारा 4(3)(1) के अनुसार पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से छूट दी गई है।

याचिका में यह प्रस्तुत किया गया कि मुगल सम्राट औरंगजेब ने विवादित स्थल पर विश्वनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था और उसके स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया। आवेदक ने तर्क दिया है कि पूर्ववर्ती मंदिर के अवशेष नींव, स्तंभों और मस्जिद के पीछे के हिस्से में देखे जा सकते हैं।

इस मामले में सोमवार को वाराणसी की एक अदालत ने परिसर में एक स्थान को सील करने का निर्देश दिया। अदालत को यह बताया गया कि अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर शिव लिंग मिला है। इसी के तहत कोर्ट ने संबंधित स्थान/क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया।

उल्लेखनीय है कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करने वाली है।

मस्जिद कमेटी के वकील, सीनियर एडवोकेट हुज़ेफ़ा अहमदी ने शुक्रवार (13 मई) को भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया था। जब सीनियर एडवोकेट ने सर्वेक्षण के खिलाफ यथास्थिति के आदेश के लिए मौखिक अनुरोध किया तो सीजेआई ने कहा कि उन्होंने अभी फाइलें नहीं देखी हैं। इसके बाद शुक्रवार शाम को मामले में इसे जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया।

अदालत ने पिछले महीने पांच हिंदू महिलाओं द्वारा वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे एक हिंदू मंदिर में साल भर प्रार्थना करने की अनुमति की मांग करने वाली याचिकाओं पर परिसर के निरीक्षण का आदेश दिया था।

स्थानीय अदालत ने पहले अधिकारियों को 10 मई तक एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, हालांकि, सर्वेक्षण नहीं हो सका क्योंकि मस्जिद समिति ने मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का विरोध किया था। सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के बाहर हंगामा हुआ और मस्जिद कमेटी के सदस्य मांग कर रहे थे कि मस्जिद परिसर के अंदर सर्वे और वीडियोग्राफी रोकी जाए।

इसके बाद अंजुमन प्रबंधन मस्जिद कमेटी की ओर से याचिका दायर कर एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाने की मांग की गई। 3 दिन की बहस के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि परिसर का सर्वे जारी रहेगा। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाने से भी इनकार कर दिया।

उनके अलावा कोर्ट ने विशाल कुमार सिंह और अजय सिंह को कोर्ट कमिश्नर भी बनाया। हिंदू पक्षों ने तर्क दिया कि एडवोकेट कमिश्नर को मुस्लिम पार्टी द्वारा बैरिकेडिंग के दूसरी तरफ यानी ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर और तहखाने में वीडियोग्राफी और सर्वेक्षण करने की अनुमति नहीं मिली। हिंदू पक्ष की ओर से यह भी कहा गया है कि मुस्लिम पक्ष ने उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर और तहखाने के अंदर जाने से यह कहकर रोक दिया कि अदालत का ऐसा कोई आदेश नहीं है।

कोर्ट ने अपने आदेश में निर्देश दिया है कि डीजीपी यूपी और मुख्य सचिव, यूपी सरकार पूरी सर्वेक्षण प्रक्रिया की निगरानी करेंगे ताकि सरकारी अधिकारी सर्वेक्षण कार्य में देरी न कर सकें। जिला अधिकारियों को एफआईआर दर्ज करने और परिसर के अंदर सर्वेक्षण कार्य में बाधा डालने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। अदालत ने आगे आदेश दिया, " किसी भी मामले में सर्वेक्षण कार्य नहीं रोका जाएगा, चाहे पक्ष सहयोग करें या न करें।"

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