ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं, 100% वीवीपैट सत्यापन की मांग 'प्रतिगामी': चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

Update: 2023-09-08 15:39 GMT

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का बचाव किया है। आयोग ने ईवीएम को 'छेड़छाड़ रहित' बताया है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में आयोग ने कहा है-

“इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में तकनीकी उपायों के कारण और ईसीआई की ओर से निर्धारित सख्त प्रशासनिक और सुरक्षा प्रक्रियाओं के कारण छेड़छाड़ संभव नहीं हैं...। इसलिए, ये किसी भी छेड़छाड़ या हेरफेर से सुरक्षित हैं..।

चुनाव आयोग ने हलफनामे में ईवीएम डेटा के पूर्ण सत्यापन वीवीपीएटी रिकॉर्ड के जर‌िए करने का विरोध किया और कहा यह 'अस्पष्ट और निराधार' आधार पर ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करने का प्रयास है।

चुनाव आयोग ने ये हलफनामा गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में दायर किया है, जिस पर वर्तमान में जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है।

अपने जवाब में, चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि सभी वीवीपीएटी पेपर पर्चियों को मैन्युअल रूप से गिनना, जैसा कि सुझाव दिया गया है, न केवल श्रम और समय की मांग वाला होगा, बल्कि 'मानवीय त्रुटि' और 'शरारत' का भी खतरा होगा। आयोग ने कहा कि यह दरअसल बैलेट पेपर जैसा प्रतिगामी होगा।

मामले में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और उसी साल हुए 17वें लोकसभा चुनावों में कथित विसंगतियों की जांच की मांग की थी।

इस याचिका में ईवीएम की गिनती को रजिस्टर के रिकॉर्ड के साथ मिलान करने की प्रार्थना की गई थी, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दायर हालिया याचिका में वीवीपैट रिकॉर्ड के खिलाफ ईवीएम डेटा के सत्यापन की मांग की गई थी।

अदालत ने 2019 की याचिका में नोटिस जारी किया था और इसे तृणमूल कांग्रेस विधायक महुआ मोइत्रा की ओर से दायर एक समान याचिका के साथ टैग करने का निर्देश दिया था, जिसमें 2019 के चुनावों में मतदाता मतदान और अंतिम वोटों की गिनती से संबंधित विवरण प्रकाशित करने की मांग की गई थी।

केस डिटेलः एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत निर्वाचन आयोग और अन्य। | रिट याचिका (सिविल) संख्या 434/2023

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