सीएमए एग्जाम: सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन मोड और कॉस्ट अकाउंटिंग एग्जाम के पैटर्न में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका दायर

Update: 2021-11-24 04:50 GMT
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICMAI) द्वारा 8 दिसंबर को ऑनलाइन आयोजित की जाने वाली इंटरमीडिएट और फाइनल CMA परीक्षाओं के पैटर्न और मोड को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई।

याचिकाकर्ताओं ने इंटरमीडिएट और फाइनल एग्जाम, 2021 को असंवैधानिक और शून्य के रूप में रद्द करने की मांग की है, क्योंकि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन करता है, इसलिए यह शुरू से ही शून्य है।

याचिकाकर्ताओं ने ICMAI को इंटरमीडिएट और फाइनल एग्जाम, 2021 को ऑफलाइन मोड में आयोजित करने का निर्देश देने की भी मांग की।

याचिकाकर्ताओं ने निम्नलिखित कारणों का हवाला देते हुए एग्जाम पैटर्न को चुनौती दी है:

1. एग्जाम पैटर्न में बदलाव के संबंध में संस्थान आधिकारिक साइटों पर कोई आधिकारिक अधिसूचना साझा किए बिना पैटर्न को स्वत: बदल रहा है।

2. संस्थान ने पिछले एक महीने में तीन बार उक्त एग्जाम पैटर्न को बदला है। इससे उम्मीदवारों/छात्रों के मन में बहुत भ्रम और अराजकता पैदा होती है।

3. संस्थान द्वारा जारी किया गया नवीनतम पैटर्न या एग्जाम मोड संस्थान द्वारा जारी अध्ययन सामग्री के अनुसार बिल्कुल भी संभव नहीं है।

4. हाल के पैटर्न से पता चलता है कि बहुत अधिक टाइपिंग के उत्तरों की आवश्यकता होगी जिसके लिए उम्मीदवार अभी तक तैयार नहीं हैं या अभ्यास नहीं कर रहे हैं।

5. थ्योरी पेपर जैसी व्यावहारिक समस्याएं जिनमें नवीनतम पैटर्न के अनुसार लंबे उत्तर हैं, निश्चित समय के भीतर संभव नहीं होंगे।

6. संस्थान द्वारा निर्धारित समय सीमा तीन घंटे है। इससे छात्रों के लिए एग्जाम को पूरा करना असंभव हो जाएगा, क्योंकि अधिकांश उम्मीदवार कलम और कागज पर लिखने में पारंगत हैं और उसी से अभ्यास करते हैं।

7. एग्जाम के वर्तमान पैटर्न के अनुसार अधिकारियों द्वारा हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के मौलिक अधिकार छीन लिए जा रहे हैं, क्योंकि तीन घंटे के दिए गए समय में हिंदी में व्यक्तिपरक प्रश्नों के उत्तर टाइप करना संभव नहीं है।

याचिका अधिवक्ता अरूप बनर्जी, आलोक सिंह, अंकित बोरकर, विनय अहरोदिया के माध्यम से दायर की गई।

केस का शीर्षक: नितिन और एनआर बनाम भारत संघ और अन्य

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