सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को शराब नीति मामले में जमानत के लिए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई 5 अगस्त तक टाल दी
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी। एएसजी ने खंडपीठ को बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पहले ही अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया, जो रिकॉर्ड पर नहीं आया है।
सिसोदिया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत मामलों में जमानत के लिए दो याचिकाएं दायर की , जिन्हें क्रमशः CBI और ED द्वारा देखा जा रहा है।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, एएसजी ने सुप्रीम कोर्ट में सिसोदिया द्वारा दायर नई याचिकाओं की सुनवाई योग्यता पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 4 जून के आदेश से सिसोदिया को केवल ट्रायल कोर्ट में ही नई जमानत याचिका दायर करने का अधिकार मिला है, न कि सुप्रीम कोर्ट में।
सिसोदिया की ओर से सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी ने एएसजी की दलीलों पर आपत्ति जताते हुए इसे "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" बताया।
खंडपीठ ने बताया कि 4 जून के आदेश में गुण-दोष पर विचार किया गया और इसने याचिकाकर्ता को CBI/ED द्वारा आरोप-पत्र/अभियोजन शिकायत दायर करने के बाद अपनी जमानत याचिका को फिर से शुरू करने की स्वतंत्रता दी। खंडपीठ ने आगे बताया कि पिछले साल 30 अक्टूबर को पारित आदेश के अनुसार, ट्रायल पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 6-8 महीने की अवधि पहले ही खत्म हो चुकी है। जवाब में एएसजी ने कहा कि देरी सिसोदिया के कारण हुई।
4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल द्वारा दिए गए आश्वासन को रिकॉर्ड में लेने के बाद सिसोदिया की पिछली जमानत याचिका का निपटारा किया कि शराब नीति मामले में आरोपपत्र/अभियोजन शिकायत 3 जुलाई, 2024 को या उससे पहले दायर की जाएगी। साथ ही कोर्ट ने सिसोदिया को अंतिम शिकायत/आरोपपत्र दायर होने के बाद जमानत के लिए अपनी प्रार्थना को फिर से शुरू करने की स्वतंत्रता दी।
सीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने 8 जुलाई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए सिसोदिया के आवेदन का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सिसोदिया 16 महीने से जेल में हैं और मुकदमा समाप्त होना चाहिए।
इसके बाद मामले को 11 जुलाई को जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संजय कुमार की तीन-जजों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। हालांकि, जस्टिस संजय कुमार द्वारा मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लेने के कारण मामला स्थगित हो गया। सिसोदिया की याचिकाओं को अगली बार 16 जुलाई को सूचीबद्ध किया गया, जब जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने एडवोकेट विवेक जैन (सिसोदिया की ओर से पेश) की दलील सुनने के बाद उन पर नोटिस जारी किया, जिन्होंने तर्क दिया कि नेता 16 महीने से हिरासत में हैं और मुकदमा उसी चरण में है, जैसा कि अक्टूबर, 2023 में था, जब उन्हें मुकदमे की प्रगति नहीं होने पर वापस आने की स्वतंत्रता दी गई।
केस टाइटल:
[1] मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 8781/2024;
[2] मनीष सिसोदिया बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 8772/2024