क्या आरोपी और मृत बेटे के बीच समझौते के आधार पर मर्डर केस में दी जा सकती है जमानत? सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा

Update: 2022-03-31 06:14 GMT
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Supreme Court of India

हत्या के आरोप में पांच महीने से जेल में बंद एक आरोपी को जमानत देने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई। गुजरात हाईकोर्ट ने इस आधार पर आरोपी को जमानत दी कि मृतक के बेटे और आरोपी व्यक्तियों ने समझौता कर लिया है।

एक गवाह द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत एक मामले में निपटारे के आधार पर जमानत देने की अवधारणा वास्तव में यह दिखाती है कि आरोपी व्यक्ति गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि आरोपी व्यक्तियों को पैरोल दी गई। पैरोल पर रहते हुए उन्होंने मृतक के बेटे को समझौता करने के लिए प्रभावित किया।

तथ्यात्मक पृष्ठभूमि

17 सितंबर, 2021 को प्रतिवादी नंबर दो और सह-आरोपी जयदीप सिंह पीड़ित के खेत में बैठे थे। इसी दौरान उनकी प्रवीणभाई के साथ गरमागरम बहस हो गई।

गुस्से में प्रतिवादी नंबर दो ने रिवॉल्वर निकाली और प्रवीणभाई पर गोली चला दी। साथ ही उस पर तलवार से भी हमला किया गया, जिससे वह घायल हो गया।

इस प्रकार आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और धारा 114, शस्त्र अधिनियम की धारा 30 और गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

ट्रायल कोर्ट ने जमानत खारिज करते हुए दर्ज किया कि अगर आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह सबूतों से छेड़छाड़ करेगा और गवाहों को प्रभावित करेगा।

इससे क्षुब्ध होकर आरोपी ने नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

जस्टिस ए वाई कोग्जे की पीठ ने जांच पूरी होने और आरोप पत्र दायर करने पर विचार करते हुए आरोपी को इस आधार पर जमानत दे दी कि आरोपी और मृतक के बेटे के बीच समझौता हो गया।

याचिका में कल्याण चंद्र सरकार बनाम राजेश रंजन [(2004) 7 एससीसी 528] और बिहार राज्य बनाम राजबल्लव प्रसाद [(2017) 2 एससीसी 178] में निर्णयों पर भरोसा किया गया। याचिका को एओआर सोमेश चंद्र झा के माध्यम से दायर किया गया।

केस शीर्षक: भारवाड़ संतोषभाई सोंडाभाई बनाम गुजरात राज्य

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