जिस व्यक्ति को अन्वेषण के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया क्या उसे समन पर पेश होने पर हिरासत में भेजा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की सराहना नहीं कर सकता कि अन्वेषण के दौरान जिस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया गया था, आरोप पत्र दायर करने पर उसे समन पर पेश होने पर हिरासत में क्यों भेजा गया?
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि इस संबंध में कुछ सिद्धांत निर्धारित करना उचित होगा।
इस मामले में अपीलकर्ता-आरोपी ने तर्क दिया कि वह अन्वेषण में शामिल हुआ था, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया गया था। जब आरोप पत्र दायर किया गया तो उसने अग्रिम जमानत मांगी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
जब हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एसएलपी दाखिल की गई तो पीठ ने आरोपी के वकील से पूछा कि संज्ञान लेने के बाद समन भेजे जाने के बाद भी वह पेश क्यों नहीं हुआ। अदालत ने कहा कि उसे पेश होना चाहिए था और नियमित जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए था।
इसके साथ ही उस स्तर पर अग्रिम जमानत का कोई मामला नहीं होना चाहिए था।
जवाब में वकील ने बताया कि विशेष रूप से उत्तर प्रदेश राज्य में जिस प्रणाली का पालन किया जाता है, वह यह है कि अगर जांच के दौरान किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो चार्जशीट दाखिल होने पर सीबीआई के ऐसे मामलों में एक व्यक्ति को हिरासत में भेजा जाता है। इस प्रकार, उसकी उपस्थिति और जमानत के लिए आवेदन करने के परिणामस्वरूप उसे हिरासत में भेज दिया जाता।
पीठ ने कहा,
"प्रथम दृष्टया, हम इस बात की सराहना नहीं कर सकते कि ऐसे परिदृश्य में याचिकाकर्ता को हिरासत में भेजने की आवश्यकता क्यों है। जैसा भी हो, इस संबंध में कुछ सिद्धांतों को निर्धारित करना उचित होगा।"
इस मामले में नोटिस जारी करते हुए अदालत ने गैर जमानती वारंट की तामील पर भी रोक लगा दी और आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया।
केस: सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई