"अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षित करने में केंद्र और राज्यों की विफलता": दिल्ली हाईकोर्ट वुमन लॉयर्स फोरम ने सीजेआई को पत्र लिखकर बुल्ली बाई ऐप मामले की समयबद्ध जांच की मांग की
बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स जैसे ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं की अवैध निगरानी और नीलामी की घटनाओं मद्देनजर हुए दिल्ली हाईकोर्ट वुमन लॉयर्स फोरम ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश की मांग की है कि इस संबंध में समयबद्ध जांच की जाए।
पत्र याचिका में मनुष्यों की नीलामी पर निर्जीव वस्तुओं के जैसे करने पर सख्ती से रोक लगाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।
पत्र में शीर्ष न्यायालय से मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही आपराधिक जांच की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि सुल्ली डील और बुली बाई ऐप की घटनाओं की जांच की जाए, जिसमें फंडिंग के स्रोतों, ऐप के हैंडलर, मनी ट्रेल की जांच शामिल हो।
पत्र में हर जिले के डीएम/एसपी को अल्पसंख्यकों को बदनाम करने, उनके बारे में फेक न्यूज फैलाने और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ नरसंहार के आह्वान को रोकने के लिए उचित निर्देश जारी करने की मांग की गई है।
पत्र याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के लिए एक ऐसा माहौल, जिसमें वे सम्मान और सुरक्षा के साथ अपने जीवन के अधिकार का आनंद ले सकें, यह सुनिश्चित और सुरक्षित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है।
पत्र में कहा गया है कि सुल्ली डील्स जैसे ऐप ने भारत में मुस्लिम महिलाओं के बीच अत्यधिक असुरक्षा की भावना पैदा की है, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के नरसंहार के सार्वजनिक आह्वान की पृष्ठभूमि में और भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों की विफलता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
पत्र में कहा गया है,
"ये घटनाएं न केवल द्वेष और सांप्रदायिक दुश्मनी का प्रतीक हैं, बल्कि डेवलपर्स और ऐसे ऐप के उपयोगकर्ताओं के बीच कानून के प्रति सम्मान की कमी और डर की भावना के अभाव को भी दर्शाती हैं। स्पष्ट रूप से अपराधियों को यह महसूस होता है कि उन्हें शर्म या अपराधबोध की कोई आवश्यकता नहीं है।"
पत्र में कहा गया है कि देश में असामाजिक और सांप्रदायिक तत्वों द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्तियों और संस्थानों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं के साथ देश में मौजूदा माहौल को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि ऐप में नामित महिलाएं गंभीर व्यक्तिगत खतरे में हो सकती हैं।
अदालत से पत्र को एक पत्र याचिका के रूप में मानने का आग्रह करते हुए, फोरम ने 'अल्पसंख्यकों के अमानवीयकरण, उनकी जानवरों और कीटाणुओं से तुलना करने, भयावह रूढ़ियों का प्रसार करके फर्जी खबरें फैलाने, उन्हें परेशान करने के लिए दूसरों को उकसाने या लक्षित समुदायों का बहिष्कार करने और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ नरसंहार का आह्वान करने आदि का भी उल्लेख किया गया है।'
फोरम के अनुसार वह भारत में अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षित करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों, केंद्र और राज्य सरकारों की विफलता को उजागर करने के लिए न्यायालय से संपर्क कर रहा है।
पत्र में तर्क दिया गया है कि सुल्ली डील मामले पर कार्रवाई की कमी ने अपराधियों को स्वतंत्र सोच वाली महिलाओं की तस्वीरों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
यह कहते हुए कि सूची में हाईकोर्ट के एक मौजूदा जज की पत्नी का नाम भी शामिल है, पत्र में तर्क दिया गया है कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गंभीर हमले के समान है और यह जज के रूप में पोजीशन लेने के अन्य मुसलमानों की क्षमता को प्रभावित कर सकता है क्योंकि न्यायपालिका में मुसलमानों का पहले से ही अनुपातहीन प्रतिनिधित्व है।