एक और मील का पत्थर- सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्णयों के लिए "न्यूट्रल साइटेशन" लॉन्च किया

Update: 2023-02-23 05:50 GMT

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को घोषणा की कि सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्णयों में "न्यूट्रल साइटेशन" होंगे।

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने इसे नई पहल के रूप में घोषित करते हुए कहा,

"हमारी हालिया पहल सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्णयों के लिए न्यूट्रल साइटेशन है। इसलिए सभी 30,000 निर्णयों में न्यूट्रल साइटेशन होने जा रहे हैं। पहली किश्त 1 जनवरी, 2023 तक होगी, फिर दूसरी किश्त 2014 से निर्णयों तक होगी और फिर अंत में हम 1950 तक वापस चले जाएंगे। इसलिए सभी निर्णयों में अब न्यूट्रल साइटेशन होंगे।"

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने भी अपनी आकांक्षा व्यक्त की कि हाईकोर्ट भी अपने निर्णयों के लिए न्यूट्रल साइटेशन का पालन करें। वर्तमान में दिल्ली, केरल और मद्रास के हाईकोर्ट ने अपने निर्णयों के लिए न्यूट्रल साइटेशन पेश किया।

चीफ जस्टिस ने ईएससीआर और स्थानीय भाषाओं में निर्णयों के अनुवाद जैसी अन्य पहलों पर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा,

"हम सभी निर्णयों का सभी भाषाओं में अनुवाद भी कर रहे हैं। हम मशीन लर्निंग टूल्स का उपयोग कर रहे हैं और इसे जिला न्यायाधीशों की टीम द्वारा सत्यापित किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के 2900 निर्णयों का अब तक अनुवाद किया जा चुका है। कभी-कभी अनुवाद कठिन हो सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि हम "लीव ग्रांटेड" कहें, इसका शाब्दिक अनुवाद "अवकाश प्राप्त हो गया" हो सकता है, इसलिए जिला न्यायाधीशों और कानून शोधकर्ताओं की टीम सहायता कर रही है। सुप्रीम कोर्ट इस सभी को वित्तपोषित करेगा।"

2022 में सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के अध्यक्ष रहते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देने के लिए न्यूट्रल साइटेशन तैयार करने के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए तीन हाईकोर्ट के न्यायाधीशों का पैनल गठित किया।

दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजीव शकधर, केरल हाईकोर्ट के जज, जस्टिस राजा विजयराघवन वी और कर्नाटक हाईकोर्ट के जज, जस्टिस सूरज गोविंद राज को समिति का सदस्य घोषित किया गया और उन्हें तौर-तरीकों पर सुझाव देने और ई-समिति को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। रमेश बाबू सदस्य (परियोजना प्रबंधन), ई-समिति, सुप्रीम कोर्ट हैं, उनको समिति का संयोजक घोषित किया गया।

न्यूट्रल साइटेशन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्णयों को उद्धृत करने का समान पैटर्न सुनिश्चित करने के लिए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट और केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने स्वयं के न्यूट्रल साइटेशन पेश किए हैं।

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