बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलटा, आरक्षण व्यवस्था में सुधार किया

Update: 2024-07-21 13:52 GMT

बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था में सुधार करते हुए मुक्ति योद्धाओं के परिजनों को दिए जाने वाले आरक्षण की सीमा घटाकर 5 फीसदी कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद फैसला दिया कि लगभग सभी सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर दी जानी चाहिए।

इससे पहले, हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 2018 में सरकारी नौकरियों में आरक्षण रद्द करने संबंधी सरकार की अधिसूचना को अवैध करार दिया था।

सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब आरक्षण सुधारों को लेकर बांग्लादेश में हिंसक झड़पें हो रही हैं। इन हिंसक झड़पों को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार की रात ही कर्फ़्यू लगा दिया था।

बांग्लादेश में हो रहे इस पूरे प्रदर्शन के केंद्र में सरकारी नौकरियों में 30 फ़ीसदी का वह आरक्षण है, जो बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वालों के बच्चों को दिया जाता है।

यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट बीते कुछ दिनों से 1971 के मुक्ति युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का विरोध कर रहे हैं। 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी की जंग लड़ने वालों को यहां मुक्ति योद्धा कहा जाता है। देश में एक तिहाई सरकारी नौकरियां इनके बच्चों के लिए आरक्षित हैं।

सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द करने के लिए आवेदन दायर किया था। इस आवेदन में स्टूडेंट्स का प्रतिनिधित्व करने वाले 5 वकीलों को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान बहस करने की अनुमति दी गई थी। सुनवाई में भाग लेने वाले 9 वकीलों में से 8 ने हाईकोर्ट का फैसला पलटने के समर्थन में दलील दी, जबकि एक वकील ने आरक्षण व्यवस्था में सुधारों की वकालत की।

हालांकि, बांग्लादेश की सरकार ने 2018 में प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली रद्द कर दी थी, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। बाद में हाईकोर्ट ने सरकार का उक्ता फैसला अवैध घोषित कर दिया था, जिसके बाद कोटा सुधारों की मांग को लेकर स्टूडेंट्स ने फिर से विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।

बांग्लादेश में आंदोलनकारी सरकारी नौकरियों में आरक्षण रद्द कर सिर्फ पिछड़ी जातियों के लिए अधिकतम 5% आरक्षण जारी रखते हुए आरक्षण व्यवस्था में संशोधन की मांग कर रहे हैं।

वर्ष 2018 में आरक्षण रद्द करने की अधिसूचना जारी होने से पहले तक सरकारी नौकरियों में मुक्ति योद्धा (स्वाधीनता सेनानी), जिलावार, महिला, अल्पसंख्यक और दिव्यांग- इन पांच वर्गों में कुल 56 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान था।

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