हाल ही में भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राफेल सौदे से सम्बन्धित कुछ दस्तावेजों के मीडिया में आ जाने पर यह चुनौती दी कि लीक करने वालों के विरुद्ध Official Secret Act, १९२३ के तहत कानूनी कार्यवाही की जायेगी. सरकार को इस निर्णय को लेकर भारी निंदा झेलनी पड़ी. विरोधियों का कहना था कहना था कि सरकार न केवल सूचना के अधिकार बल्कि लोकतंत्र को हानि पहुँचा रही है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भी सूचना के अधिकार को महत्व दिया और कहा कि सूचना का अधिकार नागरिकों का मूल अधिकार है.
तो क्या है सूचना का अधिकार और उसका लोकतंत्र सम्बन्ध ? हम आने वाले तीन लेखों में सूचना के अधिकार के अधिकार, सूचना पाने की प्रक्रिया और सूचना न दिए जाने पर संभव कदमों के बारे में जानेंगे.
तो आईये! जानते है-
सूचना का अधिकार एवं लोकतंत्र-
सूचना का अधिकार, साधारण शब्दों में, सरकार, उसकी विभिन्न इकाइयों, और उसकी गतिविधियों की जानकारी पाने का हक़ है. लोकतंत्र का तात्पर्य मात्र प्रति पाँच वर्ष वोट देना ही नहीं है. हमारा हक़ है कि सरकारें चुने जाने के बाद ५ वर्षों में क्या-क्या कार्य करती है. अगर हम यह नहीं जानेंगे तो चुनाव कैसे कर सकेंगे कि किसे वोट देकर सत्ता देनी है और किसे सत्ता से हटाना है. इसीलिए सूचना का अधिकार हमारे वोट देने और लोकतंत्र के अधिकार से सीधा जुड़ा है.
दूसरा, सूचना का अधिकार प्रशासन में भ्रष्टाचार को कम करने में मदद करता है. हमारे देश में कई बड़े घोटालों का पर्दाफाश सूचना के अधिकार के तहत सूचना मिलने पर हुआ है. दरअसल अगर एक व्यक्ति जानता है कि उसके काम पर सवाल किया जा सकता है, उसके द्वारा लिए गए गलत निर्णयों की सूचना जनता तक पहुँच सकती है तो वह निश्चित तौर पर थोड़ी ज्यादा जवाबदेही से कार्य करेगा/करेगी. इसीलिए RTI को 'सनशाइन लॉ' भी कहा जाता है.
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी उपर्युक्त बातों को स्वीकार किया है और सूचना के अधिकार को बोलने के आज़ादी के अधिकार से जोड़ा है. कोई भी व्यक्ति भी व्यक्ति अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी का प्रयोग उचित सूचनाएँ मिलने पर ही प्रभाविक रूप से कर सकता है. भारतीय मीडिया और प्रेस ने इस अधिकार का प्रयोग कर कई महत्वपूर्ण सूचनाएँ, जानकारियाँ अपनी रिपोर्टों द्वारा जनता तक पहुंचाई है.
सूचना के अधिकार का इतिहास-
सूचना के अधिकार आंदोलन का उदय ब्यावर, राजस्थान का है. १९८० के दशक में राजस्थान के इस छोटे से शहर के गाँव में जब मजदूरों ने अपनी न्यूनतम मजदूरी मांगी तो उन्हें बताया गया कि कागज़ों के मुताबिक़ उन्हें पूरी -पूरी मजदूरी दी जा रही है. जबकि वास्तविकता कुछ और थी. जब यह मांग की गयी किहमें वो कागज दिखाए जाए तो Official Secret Act, १९२३ के आधार पर उसके लिए मना कर दिया गया. तब यह नारा उठा कि "हमारा पैसा, हमारा हिसाब". सरकारी धन क्यूंकि वास्तविकता में जनता का ही पैसा है तो जनता को यह जानने का हक़ है कि सरकारी धन कहाँ और कैसे खर्च हो रहा है. और इसी नारे के साथ सूचना का अधिकार आंदोलन की शुरुआत हुई और अंतत: १२ अक्टूबर २००५ को सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ भारत में लागू हुआ.
क्या है सूचना का अधिकार?
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा ३ के तहत हर भारतीय नागरिक किसी भी लोक प्राधिकरण (आप इसे सरकारी विभाग कह सकते है) से सूचना पाने का हक़ रखता है. आप न केवल सूचनाएँ प्राप्त कर सकते है बल्कि आप कागजातों की फोटोकॉपी भी पा सकते है. इसके अतिरिक्त आप कागज़ातों, रेकॉर्डों का निरीक्षण सकते हैं और सामग्रियों के नमूने भी ले सकते है. सूचनायें इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में भी दी जा सकती है. रिकॉर्ड में इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध सूचनाएँ भी शामिल है
कौन कर सकता है सूचना के लिए आवेदन?
भारत का कोई भी नागरिक सूचना पाने के लिए आवेदन कर सकता है. यहाँ तक कि १८ वर्ष से काम उम्र का व्यक्ति भी सूचना माँग सकता है.
पर हाँ, यह अधिकार सिर्फ नागरिकों के लिए ही है. विदेशी व्यक्ति सूचना पाने का अधिकारी नहीं है. साथ ही संस्थाएँ, कम्पनियाँ, संगठन आदि सूचना का अधिकार नहीं रखते. अगर किसी संस्था, संगठन आदि को सूचना चाहिए तो अपने किसी अधिकारी के नाम से आवेदन करना होगा.
कौन-कौन सी संस्थाएं सूचना के अधिनियम के अंतर्गत सूचना देने को बाध्य है?-
हमने यह तो जान लिया की सूचना का अधिकार अधिनियम लोक प्राधिकरणों से सूचना प्राप्ति के लिए है. परन्तु कौन - कौन सी संस्थाएं सूचना देने के लिए बाध्य है, लोक प्राधिकरण किसे कहा जाता हैं यह जानना भी जरुरी है.
अधिनियम की धारा २(ज) के तहत 'लोक प्राधिकारण' सूचना देने के लिए बाध्य है. अधिनियम 'लोक प्राधिकरण' की काफी विस्तारित परिभाषा देता है. ''लोक प्राधिकरण ' में निम्नलिखित संस्थाएं शामिल है-
१. वह संस्थाएँ जो संविधान द्वारा, या संसद / विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित कानून के तहत बनाई गयी हो.
२. कोई ऐसी स्वायत संस्था जो केंद्र या राज्य सरकार की किसी अधिसूचना या आर्डर के तहत बनाई गयी हो.
३. यहॉं तक कि वे गैर सरकारी संस्थाएं भी सूचना के अधिकार अधिनियम में 'लोक प्राधिकरण' में गिनी जाती है अगर वह गैर सरकारी संस्था सरकार से किसी तरह से धनराशि/ वित्त पाती हो.
४. और सभी तरह के उपक्रम जो सरकार के स्वामित्व में है या सरकार के नियंत्रण में है या सरकार से वित्त पाते है.
किसी विभाग के किस अधिकारी को RTI भेजी जाती है?
यह हर सरकारी विभाग का कर्तव्य है कि वो अपने एक अधिकार को लोक सूचना अधिकारी घोषित करे. (धारा -५ के तहत). हर RTI एप्लीकेशन लोक सूचना अधिकारी को भेजनी होती है और लोक सूचना अधिकारी ही आवेदकों जवाब भेजता है. सब- डिविजनल स्तर पर असिस्टेंट लोक सूचना अधिकारी को सूचना पाने के लिए आवेदन भेजा जा सकता है.
RTI फाइल करने के सम्बन्ध में कुछ खास बातें-
सूचना पाने के लिए आपको एक साधारण पत्र लोक सूचना अधिकारी के नाम भेजना होगा. और साथ ही १० रूपए का शुक्ल देना होगा। पत्र में जो-जो सूचनाएँ चाहिए उन्हें सवालों के रूप में लिखना होता है. आइये जानते है कि सूचना माँगते समय किन-किन बातों को ध्यान रखें-
1. आपको कोई भी सूचना माँगने के लिए कारण बताने की आवश्यकता नहीं. न ही PIO आपसे कारण पूछ सकता है.
2. सूचना के लिए आवेदन गुप्त रूप से नहीं हो सकता. आपको अपना नाम बताना होगा.
3. आप हिंदी, इंग्लिश या जिस क्षेत्र में आप RTI आवेदन कर रह हैं,वहां की क्षेत्रीय भाषा में आवेदन कर सकते है. (२००५ के अधिनियम की धारा ६ के तहत)
4. यूँ तो सुचना पाने के लिए आवेदन एक साधारण पत्र लिखकर भी किया जा सकता है बिना किसी खास फॉर्मेट के. परन्तु कुछ विभाग अपना-अपना फॉर्मेट रखते है. अतः RTI आवेदन दायर करने से पहले सम्बंधित विभाग की वेबसाइट जरूर चेक करें.
5. कई बार हमें यह नहीं ज्ञात होता कि हम जो सूचना चाह रहे हैं वो किस विभाग से सम्बंधित है, या कई बार हम गलत विभाग को एप्लीकेशन भेज देते है, ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है. अधिनियम की धारा के तहत यह उस विभाग जिसे गलती से एप्लीकेशन भेज दी गयी है, का कर्तव्य है कि ५ दिनों के भीतर उचित विभाग को आपकी एप्लीकेशन सुपुर्द करे. (२००५ के अधिनियम की धारा ६ के तहत)
6. लोक सूचना अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह आवेदक की आवेदन प्रक्रिया में हर सम्भव मदद करे. अगर सूचना मौखिक रूप में मांगी गयी है तब भी उसे लिखित रूप में पेश करने में मदद करना भी लोक सूचना अधिकारी का कर्तव्य है. (२००५ के अधिनियम की धारा ६ के तहत) अगर आवेदक नि:शक्त है तो लोक सूचना अधिकारी का कर्तव्य है कि उन्हें आवेदन की प्रक्रिया में आवश्यक सहायता उपलब्ध करवाए.
7. लोक सूचना अधिकारी का कार्य सूचनाएँ उपलब्ध करवाना है, सूचनाओं की विवेचना करना, उनके आधार पर अनुमान लगाना आदि उसका कार्य नहीं है. इसलिए अपनी एप्लीकेशन साफ़ -सरल- डायरेक्ट सवाल पूछते हुए लिखे. ओपन एंडेड , अस्पष्ट या 'क्यों' प्रकृति के सवाल पूछने से बचे.
आवेदन के लिए पेमेंट सम्बन्धी नियम-
सूचना प्राप्त करने के लिए १० रूपए का शुल्क देना अनिवार्य है. यह पेमेंट निम्न तरीकों से किया जा सकता है-
१. रसीद लेकर नकद पेमेंट.
२. डिमांड ड्राफ्ट द्वारा.
३. बैंक चेक द्वारा.
४. १० रूपए के पोस्टल आर्डर द्वारा.
५. केंद्र सरकार के उपक्रमों को ऑनलाइन पेमेंट भी किया जा सकता है.
फोटोकॉपी के लिए अलग से फीस देनी होगी. गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिकों को किसी तरह की फीस से छूट है.
कुछ उदाहरण -
सूचना के अधिकार का उपयोग सरकारी तंत्र के छोटे से लेकर बड़े हिस्से के बारे में सूचना पाने के लिए प्रयोग कर सकते है. सूचना के अधिकार का प्रयोग सरकारी योजनाओं मुनासिब हक़दारों का पहुँचाने में पूरा हाथ है. चलिए कुछ उदाहरण देखते है-
१. जैसे अगर किसी व्यक्ति को उसका राशन कार्ड या आधार कार्ड नहीं मिल रहा. सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने पर भी काम नहीं बन रहा तो आप सम्बंधित विभागों को यह पूछते हुए RTI भेज सकते है कि कौनसा अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार है और उस अधिकारी पर क्या कार्यवाही की जा सकती है.
२. आप राशन की दूकान में प्रति दिन कितना राशन आ रहा है, कितना स्टॉक उपलब्ध है, ये सूचना के अधिकार तहत आप जान सकते है. आप स्टॉक की क्वालिटी सही है या नहीं, ये देखने के लिए राशन की दूकान से सैंपल की माँग कर सकते है.
३. किसे रोड बनाने का टेंडर दिया गया, जिसे टेंडर प्राप्त हुआ उसकी क्या-क्या बातें दूसरे आवेदकों से बेहतर थी, उसने क्या दाम का ऑफर दिया आदि.
वास्तव सूचना का अधिकार मात्र सूचना पाने का ही नहीं बल्कि यह भोजन का अधिकार, स्वच्छ पानी का अधिकार आदि सभी मूलभूत अधिकारों से जुड़ा है.
ऑनलाइन करे RTI फाइल -
आप <https://rtionline.gov.in/> पर जाकर ऑनलाइन भी एप्लीकेशन फाइल कर सकते है. आप यहाँ ऑनलाइन पेमेंट करके एप्लीकेशन दायर कर एक निश्चित फॉर्मेट में एप्लीकेशन लगा सकते है. पर यह वेबसाइट मात्र केंद्र सरकार के उपक्रमों के लिए है, इस पोर्टल पर आप राज्य सरकार के लोक प्राधिकरणों को RTI नहीं भेज सकते. अलग-अलग राज्यों से अपने -अपने राज्यों में ऑनलाइन एप्लीकेशन की व्यवस्था की है.
इस लेख में हमने सूचना के लिए कैसे आवेदन करें, इसकी जानकारी पायी। अगले लेख में हम राज्य और केंद्रीय सूचना आयोग और सूचना न दिए जाने पर क्या करें ये बातें अगले लेख में जानेंगे.
(सुरभि राष्ट्रिय विधि विश्विद्यालय, दिल्ली में अध्ययनरत है.)