पद्म पुरस्कार से सम्मानित संत कार्तिक महाराज पर बलात्कार के आरोप मामले में जबरन कार्रवाई से बचे राज्य: कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह पद्मश्री से सम्मानित भिक्षु महाराज स्वामी प्रदीपानंद उर्फ 'कार्तिक महराज' के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम न उठाए, जिन्होंने एक महिला द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोपों के खिलाफ अदालत का रुख किया था, जिसने अपना भक्त होने का दावा किया था।
जस्टिस जय सेनगुप्ता ने अपने खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने की अपनी याचिका में बंद कमरे में सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए ये मौखिक टिप्पणी की। पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि गुरुवार को सुनवाई शुरू होने तक स्वामी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाए।
राज्य के वकील ने आसाराम के मामले का उदाहरण देते हुए बंद कमरे में सुनवाई के अनुरोध का विरोध किया, जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय में खुली अदालत के समक्ष उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया था, लेकिन आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया था।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि स्वामी प्रदीपानंद ने 2012 और 2019 के बीच नौकरी का वादा करके उसके साथ बार-बार बलात्कार किया।