60वें जन्मदिन से एक दिन पहले मरने वाले सरकारी कर्मचारी को 60 वर्ष से कम माना जाता है, आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की पीठ ने माना कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपने 60वें जन्मदिन से एक दिन पहले मर जाता है तो उसे 60 वर्ष की आयु पूरी नहीं करने वाला माना जाता है, इसलिए उसके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र माना जाता है।
पृष्ठभूमि तथ्य
याचिकाकर्ता ने अपने पिता की मृत्यु के बाद माध्यमिक विद्यालय में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया। पिता की जन्म तिथि 2 जनवरी, 1961 थी। वह 1 जनवरी, 2021 को साठ वर्ष के हो गए, उसी दिन उनका निधन हो गया। प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता की प्रार्थना अस्वीकार कर दी। 5 फरवरी, 2024 के ज्ञापन में प्रतिवादी द्वारा बताया गया कारण यह था कि याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु के समय 1 जनवरी, 2021 को उनकी आयु साठ वर्ष हो गई।
प्रतिवादी ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (गैर-शिक्षण कर्मचारियों के पद पर नियुक्ति के लिए व्यक्तियों का चयन) नियम, 2009 (नियम 2009) की अनुसूची V के आधार पर निर्णय लिया कि याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु की तिथि पर उनकी आयु साठ वर्ष हो चुकी थी, इसलिए याचिकाकर्ता अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का लाभ पाने का हकदार नहीं है।
इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने पश्चिम बंगाल क्षेत्रीय स्कूल सेवा आयोग के सहायक सचिव द्वारा जारी 5 फरवरी, 2024 के ज्ञापन को रद्द करने के लिए रिट याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि चूंकि याचिकाकर्ता के पिता की जन्म तिथि 2 जनवरी, 1961 थी, इसलिए याचिकाकर्ता के पिता ने 1 जनवरी, 2021 को साठ वर्ष पूरे नहीं किए। 2 जनवरी, 2021 को उनकी आयु साठ वर्ष पूरी हो जाती। आगे दलील दी गई कि याचिकाकर्ता के पिता की रिटायरमेंट की तिथि के बावजूद याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए योग्य उम्मीदवार माना जाना चाहिए था। यह कहा गया कि मृत्यु की तिथि पर 60 वर्ष की आयु पूरी करने में एक दिन कम था, जो याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का हकदार बनाता है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक विद्यालय शिक्षक भर्ती नियम, 2016 के नियम 18 और 20 का हवाला दिया। नियम 18 के अनुसार याचिकाकर्ता के पिता की रिटायरमेंट तिथि 31 जनवरी, 2021 थी। आगे यह भी कहा गया कि नियम 20 में मृतक शिक्षक के परिवार की आर्थिक कठिनाई और परिवार की परिभाषा को 2009 के नियमों की अनुसूची V के अनुसार ध्यान में रखा जाना चाहिए।
दूसरी ओर प्रतिवादी द्वारा यह तर्क दिया गया कि 2016 के नियम लागू नहीं थे, लेकिन याचिकाकर्ता की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए पात्रता तय करते समय 2009 के नियमों की अनुसूची V लागू थी। 2009 के नियमों की अनुसूची V के खंड 1 में कहा गया कि याचिकाकर्ता के पिता की रिटायरमेंट की तिथि 31 जनवरी, 2021 तय की गई। हालांकि, याचिकाकर्ता के पिता की आयु 1 जनवरी, 2021 को साठ वर्ष हो गई, जिससे याचिकाकर्ता अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने के मामले में अयोग्य हो गया। प्रतिवादी अधिकारियों के अनुसार, याचिकाकर्ता के पिता की जन्म तिथि 2 जनवरी, 1961 थी और उन्होंने 1 जनवरी, 2021 को साठ वर्ष की आयु पूरी कर ली। इसलिए, याचिकाकर्ता अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का हकदार नहीं था।
न्यायालय के निष्कर्ष
न्यायालय ने वर्ष 2009 के नियमों की अनुसूची V के खंड 1 पर भरोसा किया, जिसमें प्रावधान है कि जब कोई शिक्षक या गैर-शिक्षण कर्मचारी अपनी रिटायरमेंट की तिथि अर्थात साठ वर्ष की आयु से पहले सेवाकाल में मर जाता है तो उस स्थिति में मृतक शिक्षक/गैर-शिक्षण कर्मचारी के परिवार के केवल एक सदस्य को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का अधिकार है।
न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता के पिता 31 जनवरी, 2021 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी मृत्यु 1 जनवरी, 2021 को हुई, जब उनकी आयु 59 वर्ष 11 महीने और 29 दिन थी। यदि पिता की मृत्यु 2 जनवरी, 2021 को हुई होती तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता था कि पिता ने साठ वर्ष की आयु पूरी कर ली थी।
यह भी पाया गया कि यदि याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु 2 जनवरी, 2021 को हुई होती तो बेटे को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए विचार किए जाने के योग्य नहीं माना जाता। लेकिन वर्तमान मामले में चूंकि पिता की मृत्यु पिछली तिथि को हुई, जब वे 60 वर्ष के हो गए, इसलिए यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि पिता ने साठ वर्ष पूरे कर लिए हैं।
इसलिए न्यायालय ने माना कि यदि याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु साठ वर्ष की आयु पूरी करने से ठीक पहले अंतिम तिथि को हुई तो अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मांग करने वाले याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करने में कोई बाधा नहीं है। इसलिए प्रतिवादी द्वारा जारी 5 फरवरी, 2024 के ज्ञापन को न्यायालय ने खारिज कर दिया।
उपरोक्त टिप्पणियों के साथ रिट याचिका को अनुमति दी गई।
केस टाइटल: एस.के. मोनिकुल हुसैन बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।