लोकतंत्र को बाहुबल से नहीं लूटा जा सकता, देश जनादेश से चलता है: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मतपत्र छीनने पर 2023 के ग्राम पंचायत के चुनाव परिणाम को रद्द किया

Update: 2024-04-26 10:09 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने प‌श्‍चिम बंगाल के संकरैल के ग्राम पंचायत चुनाव के चुनाव परिणाम को रद्द कर दिया है। 2023 में हुए चुनावों में सत्ता व्यवस्‍था से संबंधित गुंडों द्वारा 'बेरहम पिटाई', 'हिंसा' और मतपत्र छीनने के आरोप लगे थे। जस्टिस अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने निर्वाचित उम्मीदवार का चुनाव प्रमाणपत्र भी रद्द कर दिया, सीट को रिक्त मानने का निर्देश दिया और चुनाव आयोग से नए सिरे से चुनाव कराने के लिए कदम उठाने को कहा।

कोर्ट ने कहा,

"आयोग को लोकतंत्र के लक्ष्य और मूल्य को बनाए रखने के लिए साहसिक कदम उठाने चाहिए और असामाजिक तत्वों और गुंडों को अपनी नाक के नीचे लोकतंत्र को कुचलने नहीं देना चाहिए। जब अपराध आयोग की मशीनरी के संज्ञान में आया, तो मतगणना प्रक्रिया को रोकने के लिए त्वरित आवश्यक कार्रवाई ही न्याय के गर्भपात को रोकने का एकमात्र उपाय था।"

कोर्ट ने कहा,

"लोकतंत्र कोई खिलौना नहीं है जिसे बाहुबल से छीन लिया जाए या लूट लिया जाए। यह आम जनता, मतदाताओं, जिनके जनादेश पर देश चलता है, के हाथ में एक बहुत शक्तिशाली उपकरण है। जैसे ही ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, उसे तुरंत कठोरता से कुचल दिया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने 2023 का पंचायत चुनाव लड़ा था और मतगणना के दौरान मारपीट, मतपत्र छीनने और लूटने का आरोप लगाया था। तदनुसार, एक रिट याचिका दायर की गई और एसईसी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया।

एसईसी ने मामले की जांच की और घटना को स्वीकार किया। यह कहा गया कि मतपत्रों की छीना-झपटी हुई थी, लेकिन पर्यवेक्षक ने मतगणना अधिकारी को वोटों की गिनती आगे नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया था, फिर भी फॉर्म 24 जारी होने के बाद भी गिनती जारी रही।

आगे कहा गया कि चूंकि पहले और दूसरे उम्मीदवारों के बीच का अंतर खोए हुए मतपत्रों से कम था, इसलिए बीडीओ और रिटर्निंग ऑफिसर ने एसईसी से दिए गए प्रमाण पत्र को रद्द करने का अनुरोध किया था, लेकिन एसईसी ने माना कि गिनती संतोषजनक ढंग से पूरी हो गई थी।

एसईसी द्वारा यह कहा गया था कि चूंकि प्रमाणपत्र पहले ही जारी किया जा चुका था, इसलिए हारने वाले उम्मीदवार के लिए एकमात्र उपाय चुनाव याचिका ही था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि एसईसी ने स्वीकार किया था कि गिनती की मेज से मतपत्र छीन लिए गए थे, इसलिए उन्हें चुनाव प्रमाण पत्र रद्द कर देना चाहिए था, और अदालत से इसी तरह की राहत देने की प्रार्थना की।

राज्य के वकील ने तर्क दिया कि गिनती पूरी होने के बाद, चुनाव आयोग कार्यात्मक अधिकारी बन जाता है और उसके पास चुनाव प्रमाणपत्रों को रद्द करने कोई अधिकार नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि एसईसी ने याचिकाकर्ता के मतपत्र छीनने के आरोप को स्वीकार कर लिया है और यहां तक ​​कि यह भी कहा है कि रिटर्निंग ऑफिसर, बीडीओ और ऑब्जर्वर ने मौखिक रूप से मतगणना अधिकारी को वोटों की गिनती रोकने का निर्देश दिया था, लेकिन उसे रोका नहीं गया और चुनाव प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया।

मतगणना अधिकारी के आचरण पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि छीना-झपटी और लूटपाट शुरू होने पर अधिकारी को तुरंत गिनती रोक देनी चाहिए थी। इसमें आगे कहा गया है कि स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए अंतिम निकाय होने के नाते, चुनाव आयोग शिकायतकर्ता को इस दावे पर चुनाव याचिका में नहीं डाल सकता है कि गिनती खत्म होने के बाद यह कार्यात्मक अधिकारी बन गया है।

कोर्ट ने कहा कि चुनाव याचिका का उद्देश्य अलग है और इसके निपटारे में थोड़ा समय लगेगा, जिसमें वित्तीय खर्च भी शामिल होगा। यह देखा गया कि यदि उम्मीदवार के पास ऐसी लड़ाई लड़ने के साधन नहीं हैं, तो अवैधता स्वतः ही वैध हो जाएगी और ऐसा कदम लोगों के जनादेश की अवहेलना और संविधान की प्रस्तावना में नहिता लोकतंत्र के सिद्धांत पर एक धब्बा होगा।

न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि चुनाव आयोग को वर्तमान मामले में अधिक प्रभावी कदम उठाने चाहिए थे और बाधित मतगणना प्रक्रिया के बाद निर्वाचित उम्मीदवार को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में जारी रखने की अनुमति देना अनुचित और अन्यायपूर्ण होगा। तदनुसार, चुनाव रद्द कर दिया गया, उम्मीदवार का चयन रद्द कर दिया गया और चुनाव आयोग को क्षेत्र में नए सिरे से चुनाव कराने का निर्देश दिया गया।

साइटेशन: 2024 लाइवलॉ (कलकत्ता) 99

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