BREAKING | कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद जारी किए गए OBC सर्टिफिकेट रद्द किए

Update: 2024-05-22 14:44 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सर्टिफिकेट रद्द कर दिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने अधिनियम के लाभ पर रोजगार प्राप्त किया। इस तरह के आरक्षण के कारण पहले से ही सेवा में थे, वे आदेश से प्रभावित नहीं होंगे।

जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने राज्य में OBC सर्टिफिकेट देने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाया। इस फैसले का असर 5 लाख OBC सर्टिफिकेट पर पड़ना तय है।

वर्ष 2010 से सभी OBC सर्टिफिकेट रद्द करने का न्यायालय का फैसला, 2011 में राज्य में सत्ता में आई सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार के लिए झटका है, क्योंकि यह वर्तमान सरकार के शासन के तहत दिए गए सभी OBC सर्टिफिकेट को लगभग अमान्य कर देता है।

न्यायालय उस याचिका पर फैसला दे रहा था, जिसमें पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) अधिनियम, 2012 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई, जो सार्वजनिक कार्यालयों में OBC वर्ग में आरक्षण प्रदान करता है।

अपने आदेश में अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) अधिनियम, 2012 के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में दिए गए आरक्षण के लिए 37 वर्गों को रद्द कर दिया।

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