कलकत्ता हाईकोर्ट ने MGNREGA श्रमिकों को बेरोजगारी भत्ता देने, काम फिर से शुरू करने के मामले में केंद्र और राज्य से हलफनामा मांगा

Update: 2024-10-09 04:54 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने धन जारी करने में हुए विवाद पर राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसके कारण पश्चिम बंगाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत कई दिहाड़ी मजदूरों को भुगतान नहीं किया गया।

चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस बिवास पटनायक की खंडपीठ पश्चिम बंगा खेत मजूर समिति (PBKMS) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो मनरेगा श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक ट्रेड यूनियन है।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल ने न्यायालय को सूचित किया कि 9 मार्च 2022 के केंद्र सरकार के आदेश के कारण राज्य मनरेगा को लागू करने में असमर्थ है।

इस आदेश ने पश्चिम बंगाल के लिए मनरेगा फंड को रोक दिया और राज्य को कुछ निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया। इन निर्देशों के अनुपालन में 20 से अधिक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा केंद्र सरकार से रोक हटाने का अनुरोध करने के बावजूद, यह प्रस्तुत किया गया कि कोई प्रगति नहीं हुई।

इसके जवाब में PBKMS का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता पूर्बयन चक्रवर्ती ने तर्क दिया कि अधिनियम के तहत राज्य सरकार मनरेगा के तहत रोजगार प्रदान करने के लिए बाध्य है, भले ही केंद्र सरकार द्वारा धन जारी करने का निर्णय लिया गया हो।

उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों के बीच विवाद इस योजना के तहत काम को रोकने को उचित नहीं ठहरा सकते, जो हजारों ग्रामीण श्रमिकों की आजीविका को सीधे प्रभावित करता है।

हाईकोर्ट ने इन प्रस्तुतियों पर ध्यान दिया तथा केंद्र सरकार को कई कार्रवाई रिपोर्टों के माध्यम से अनुपालन के राज्य के दावे को संबोधित करते हुए रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

बेरोजगारी भत्ते के मुद्दे पर राज्य के एडवोकेट जनरल ने तर्क दिया कि जब तक केंद्र सरकार द्वारा धन स्वीकृत नहीं किया जाता, तब तक बेरोजगारी भत्ते का भुगतान नहीं होगा। हालांकि, न्यायालय ने प्रथम दृष्टया यह विचार व्यक्त किया कि यह तर्क अस्थिर है।

न्यायालय ने कहा कि मजदूरी और बेरोजगारी भत्ते के भुगतान के बीच अंतर स्पष्ट है। यह देखते हुए कि पिछले दो वर्षों से रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया, राज्य सरकार बेरोजगारी भत्ता देने के लिए उत्तरदायी है।

तदनुसार, न्यायालय ने राज्य सरकार को यह उत्तर देने का निर्देश दिया कि बेरोजगारी भत्ते के भुगतान के लिए निर्देश क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को यह बताने का निर्देश दिया कि राज्य द्वारा कई बार कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के बाद भी धनराशि क्यों जारी नहीं की गई।

केस टाइटल: पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य।

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