निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों ने चुनाव ड्यूटी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
शहर के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के करीब 90 शिक्षकों ने आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान और उससे पहले चुनाव ड्यूटी करने के लिए भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा उन्हें दिए गए आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ता शिक्षकों ने विभिन्न संचारों पर आपत्ति जताई है जिनमें से एक मैसेज 16 अक्टूबर को ECI द्वारा जारी किया गया, जिसमें खार के पश्चिमी उपनगरों में स्थित थाडोमल शाहनी इंजीनियरिंग कॉलेज से अपने कर्मचारियों खासकर शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर भेजने के लिए कहा गया।
शिक्षकों ने अपनी वकील देवयानी कुलकर्णी के ज़रिए तर्क दिया कि चुनाव ड्यूटी से उनका शिक्षण कार्यक्रम और 11 नवंबर 2024 से शुरू होने वाली परीक्षाएं भी प्रभावित होंगी।
याचिका में कहा गया कि शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति से बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। शिक्षण पूरी तरह से रुक जाएगा स्टूडेंट्स की परीक्षा कार्यक्रम और भविष्य प्रभावित होगा जो इस देश का भविष्य हैं, जिससे स्टूडेंट्स का कोई भी महत्वपूर्ण शैक्षणिक सत्र बर्बाद हो जाएगा और उनके भविष्य पर असर पड़ेगा।
याचिका में आगे तर्क दिया गया कि चुनाव ड्यूटी के लिए शिक्षकों की आवश्यकता स्टूडेंट के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करेगी।
याचिका में कहा गया,
"प्रतिवादियों का ऐसा कृत्य मौलिक अधिकार यानी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित स्टूडेंट्स के सम्मान के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन है। वे शिक्षा और जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के अवसर से वंचित हैं।"
याचिका में कहा गया कि उनका कॉलेज निजी है। इसलिए यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 159 के अंतर्गत नहीं आता, जो चुनाव आयोग को चुनाव से पहले उसके दौरान और बाद में चुनाव ड्यूटी करने के लिए सरकारी संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र की उपयोगिताओं और बैंकों आदि के कर्मचारियों की भर्ती करने की अनुमति देता है।
याचिका में कहा गया,
"जिला चुनाव अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ताओं को मजबूर और परेशान किया जा रहा है। कॉलेज के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा। खासकर तब जब परीक्षाएं चल रही हैं।"
शिक्षकों को यह भी आशंका है कि चुनाव आयोग द्वारा उनके अनुरोध पर चुनाव ड्यूटी न करने पर उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसलिए उन्होंने सुरक्षा की मांग की।
जस्टिस संदीप मार्ने और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की अवकाशकालीन अदालत बुधवार को याचिका पर सुनवाई कर सकती है।