भीमा-कोरेगांव मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट के जज ने प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

Update: 2025-01-02 08:56 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जस्टिस सारंग कोतवाल ने गुरुवार (2 जनवरी) को भीमा-कोरेगांव मामले में एक आरोपी प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

जस्टिस कोतवाल, जो अब खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे है, उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने भीमा-कोरेगांव मामले में तेलतुंबडे सहित कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की और फैसला सुनाया।

जस्टिस कोतवाल ने मामले की सुनवाई शुरू होने पर कहा,

"मुझे लगता है कि न्यायिक मर्यादा का पालन किया जाना चाहिए। इसलिए मुझे लगता है कि मैं इन मामलों की सुनवाई नहीं करूंगा।"

तेलतुंबडे ने मुंबई की विशेष अदालत द्वारा मई 2024 में पारित आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूतों का हवाला देते हुए उन्हें मामले से मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। हालांकि जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो जस्टिस कोतवाल ने उक्त अपील की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

गौरतलब है कि जस्टिस कोतवाल उस खंडपीठ के सदस्य रहे हैं, जिसने उनके और 16 अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिन पर भीमा-कोरेगांव मामले में मामला दर्ज किया गया।

तेलतुंबडे ने 2020 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और नवंबर, 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी। तेलतुंबडे को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि इस बात को साबित करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है कि तेलतुंबडे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दंडनीय किसी भी आतंकवादी गतिविधि में शामिल थे।

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