बॉम्बे हाईकोर्ट ने हिंदू संगठन को मालेगांव बम-विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को सम्मानित करने की अनुमति दी

Update: 2025-03-29 08:55 GMT
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हिंदू संगठन को मालेगांव बम-विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को सम्मानित करने की अनुमति दी

यह देखते हुए कि आजादी के 78 साल बाद भारतीय आबादी समझदार और शिक्षित है, बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हिंदू संगठन को "विराट हिंदू संत सम्मेलन" आयोजित करने और 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी दक्षिणपंथी उग्रवादी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को "हिंदू वीर पुरस्कार" प्रदान करने की अनुमति दी।

जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस अश्विन भोबे की खंडपीठ ने हिंदू सकल समाज को 30 मार्च को नासिक जिले के मालेगांव में आयोजित होने वाले अपने समारोह को जारी रखने की अनुमति दी, जिस दिन राज्य "गुड़ी पड़वा" (मराठी नव वर्ष) मनाता है।

राज्य ने इस आधार पर इस आयोजन का विरोध किया कि इस आयोजन में वक्ता अन्य धर्मों के खिलाफ "भड़काऊ भाषण" देने के लिए प्रवृत्त हैं। इस प्रकार यह कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा कर सकता है। राज्य ने नागपुर जिले में हुई हाल की सांप्रदायिक हिंसा और मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद का भी हवाला दिया।

सरकारी वकील नेहा भिड़े के माध्यम से राज्य ने यह भी बताया कि 31 मार्च को मुस्लिम समुदाय रमजान ईद मनाएगा।

प्रज्ञा ठाकुर वर्तमान में 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आतंकवाद के आरोपों के तहत मुकदमे का सामना कर रही हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ अपने भड़काऊ भाषणों के लिए जानी जाती हैं। कार्यक्रम में अन्य वक्ता संग्राम भंडारे, मिलिंद एकबोटे और स्वामी भरतानंद महाराज हैं, जो सभी अपने उग्र भाषणों के लिए जाने जाते हैं।

हालांकि, जजों ने कहा कि भारत की आजादी के 78 साल बाद नागरिक "पर्याप्त रूप से" शिक्षित और समझदार हैं कि वे स्वयं द्वारा लगाई गई सीमाओं को समझें कि क्या बोलना है और क्या नहीं।

खंडपीठ ने स्पष्ट किया,

"बुद्धिमत्ता की जीत होनी चाहिए और वक्ताओं को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जब वे अपने विचार व्यक्त करें तो उनमें से कोई भी किसी अन्य धर्म के विरुद्ध न हो, जिससे दूसरे धर्म के लोगों को ठेस पहुंचे।"

आदेश के 11 पृष्ठ में खंडपीठ ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा अंतरिक्ष सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति पर चर्चा की, सफल चंद्रयान मिशन आदि का हवाला दिया तथा संयुक्त राष्ट्र, जी-20 और यहां तक ​​कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का भी उल्लेख किया।

जजों ने कहा,

"युवा और गतिशील आबादी के साथ भारत वैश्विक व्यापार, नवाचार और संस्कृति के भविष्य को आकार देना जारी रखता है तथा समावेशिता और सतत प्रगति के दृष्टिकोण के साथ उभरती हुई महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करता है।"

इसलिए खंडपीठ ने कहा कि नागरिकों को जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए, बुद्धिमत्ता और देशभक्ति दिखानी चाहिए तथा लोगों को अपने धर्म, रीति-रिवाजों और पूजा-अर्चना को मानने की अनुमति देनी चाहिए।

खंडपीठ ने रेखांकित किया,

"समझदारी से बुद्धि आती है और सद्भाव तब पैदा होता है, जब हम उस समझ को दया और करुणा के साथ अपनाते हैं। 'जियो और जीने दो' हमारे चरित्र की पहचान होनी चाहिए। सच्ची शांति केवल ज्ञान में नहीं, बल्कि मन, हृदय और आत्मा के संतुलन में पाई जाती है।"

जजों ने आगे इस तथ्य पर ध्यान दिया कि 2008 में मालेगांव शहर को हिला देने वाले विस्फोटों के बाद पिछले 17 वर्षों में इस क्षेत्र में ऐसी कोई सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई। इसने आयोजकों द्वारा दिए गए वचन को भी स्वीकार किया कि कार्यक्रम के कोई भी वक्ता भड़काऊ भाषण नहीं देंगे, जिससे किसी भी धर्म को मानने वाले लोगों में प्रतिकूल भावनाएं भड़कने की संभावना हो।

जजों ने स्पष्ट किया,

"ऐसा वचन न केवल आयोजन समिति को बल्कि वक्ताओं को भी बाध्य करेगा जो समान रूप से जवाबदेह होंगे। आयोजक की प्रबंध समिति न्यायालय को दिए गए आश्वासन और किसी अन्य धर्म को मानने वाले व्यक्ति को ठेस पहुंचाए बिना अपने विचार और दृष्टिकोण व्यक्त करने के वचन से बंधी होगी।"

इसलिए जजों ने सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक कार्यक्रम की अनुमति देना उचित समझा।

खंडपीठ ने आदेश दिया,

"हम यह भी निर्देश देते हैं कि पुलिस अधिकारी उस मैदान तक विशेष मार्ग निर्धारित करेंगे, जहां समारोह आयोजित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेंगे कि यह भीड़भाड़ वाले इलाके से न गुज़रे। कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा उचित समझे जाने वाले पर्याप्त पुलिस बंदोबस्त बनाए रखे जाएंगे। कानून और व्यवस्था के मानदंडों या दिए गए वचनों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ़ प्रक्रिया और कानून में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार सख्ती से कार्रवाई की जानी चाहिए।"

केस टाइटल: राहुल बच्चव बनाम महाराष्ट्र राज्य (रिट याचिका 4335/2025)

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