डॉ. पायल तड़वी की मां ने प्रदीप घरात को SPP के पद से हटाने के राज्य के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी, कहा कि वे प्रभावी ढंग से मुकदमा चला रहे थे

दिवंगत डॉ. पायल तड़वी की मां ने डॉ. पायल की आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ मामले में प्रदीप घरात को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) के पद से हटाने को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
डॉ. पायल तड़वी की मां और मुखबिर अबेदा तड़वी ने 7 मार्च की सरकारी अधिसूचना के जरिए एसपीपी घरात को मामले से हटाने को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। उनका कहना है कि घरात को बिना किसी कारण के और अभियोजन पक्ष के मामले का प्रभावी ढंग से प्रतिनिधित्व करने के बावजूद मामले से एसपीपी के पद से हटा दिया गया।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस डॉ. नीला केदार गोखले की खंडपीठ ने बुधवार को राज्य से निर्देश लेने और जवाब देने को कहा। हाईकोर्ट 2 अप्रैल को ताड़वी की याचिका पर सुनवाई करेगा।
तीन डॉक्टरों, डॉ. अंकिता कैलाश खंडेलवाल, डॉ. हेमा सुरेश आहूजा और डॉ. भक्ति अरविंद मेहरे के खिलाफ सत्र न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। उन पर डॉ. पायल ताड़वी को अपमानित करके और उनकी जाति के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करके आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। अगस्त 2019 में हाईकोर्ट ने आरोपियों को सशर्त जमानत दी थी और अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को कॉलेज और अस्पताल में फिर से प्रवेश करने की अनुमति दी थी।
याचिका में कहा गया है कि 1 जून 2019 की सरकारी अधिसूचना के माध्यम से शुरू में एक एसपीपी नियुक्त किया गया था। हालांकि, 20 फरवरी 2020 को याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले के संचालन के तरीके के बारे में आशंकाओं के कारण एसपीपी को बदलने का अनुरोध किया। इसके बाद 6 जुलाई 2020 की अधिसूचना के माध्यम से प्रदीप घरात को मामले में एसपीपी नियुक्त किया गया।
यह कहा गया है कि 13 नवंबर 2024 को घरात ने एंटी-रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट और पायल के परिवार द्वारा उसके खिलाफ की गई शिकायत के आधार पर डॉ. यी चिंग लिंग चुंग चियांग को आरोपी बनाने के लिए धारा 319 सीआरपीसी के तहत एक आवेदन प्रस्तुत किया। 28 फरवरी 2025 को सत्र न्यायालय ने उक्त आवेदन को स्वीकार कर लिया।
याचिका में कहा गया है कि उक्त आदेश पारित होने के एक सप्ताह बाद, राज्य विधि एवं न्याय विभाग ने गृह विभाग की संस्तुति पर घरात को एसपीपी के पद से हटाने के लिए अधिसूचना जारी की। कहा गया है कि महेश मनोहर मुले को मामले का नया एसपीपी नियुक्त किया गया है।
यह प्रस्तुत किया गया है कि बिना कोई कारण बताए और घरात द्वारा अभियोजन पक्ष के मामले में लगातार उपस्थित होने और उसका प्रतिनिधित्व करने के बावजूद अधिसूचना जारी की गई है।
यह कहा गया है कि डॉ. चिंग लिंग को आरोपी के रूप में पेश करने के लिए आवेदन के बाद उन्हें हटाए जाने से सवाल उठता है कि क्या उन्हें अभियोजन पक्ष के रूप में मामले को अच्छी तरह से संचालित करने के लिए दंडित किया जा रहा है। कहा गया है कि घरात ने अपनी नियुक्ति के बाद से ही अभियोजन पक्ष के मामले को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता को घरात को एसपीपी के पद से हटाने के निर्णय के बारे में न तो सूचित किया गया और न ही उनसे परामर्श किया गया। याचिका में एससी एसटी नियमों के नियम 4(5) का हवाला दिया गया है, जिसमें प्रावधान है कि यदि पीड़ित को आवश्यक हो या वह चाहे तो जिला मजिस्ट्रेट या उप-मंडल मजिस्ट्रेट विशेष न्यायालय में मामलों के संचालन के लिए किसी प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ता को नियुक्त कर सकता है। यह कहा गया है कि यह प्रावधान कानूनी प्रतिनिधित्व तय करते समय पीड़ित के अनुरोध को ध्यान में रखने के कानून के इरादे को इंगित करता है।
इस प्रकार याचिकाकर्ता ने विवादित अधिसूचना को रद्द करने की प्रार्थना की है।