आवास और फार्म हाउस से बेदखली के खिलाफ शिल्पा शेट्टी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Update: 2024-10-09 08:15 GMT

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और उनके व्यवसायी पति राज कुंद्रा ने मुंबई के आलीशान जुहू इलाके में उनके आवासीय परिसर और पवना झील के पास फार्म हाउस को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा कथित क्रिप्टो संपत्ति पोंजी स्कीम मामले के संबंध में अस्थायी रूप से जब्त किए जाने के बाद दंपति को जारी किए गए बेदखली नोटिस को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने बुधवार (9 अक्टूबर) को ED को नोटिस जारी किया। मामले की सुनवाई गुरुवार (10 अक्टूबर) दोपहर को तय की।

एडवोकेट प्रशांत पाटिल के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कुंद्रा दंपत्ति ने 27 सितंबर, 2024 को बेदखली नोटिस जारी करने के लिए ED की ओर से "अर्थहीन, लापरवाह और मनमाने कृत्य" के खिलाफ अपने अधिकार और अपने परिवार के आश्रय की रक्षा के लिए आदेश मांगे, जिसमें दंपत्ति को 10 दिनों के भीतर अपनी संपत्ति- मुंबई में आवासीय घर और पुणे में फार्म हाउस - खाली करने का निर्देश दिया गया। दंपत्ति को 3 अक्टूबर को बेदखली का नोटिस दिया गया।

दंपत्ति 2018 से कार्रवाई का सामना कर रहा है, जब ED ने कथित क्रिप्टो संपत्ति पोंजी योजना में अमित भारद्वाज के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें कुंद्रा दंपत्ति ने कथित तौर पर अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर बिटकॉइन के रूप में निवेशकों से 6 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की थी।

याचिका में कहा गया कि दंपत्ति ED के साथ सहयोग कर रहे हैं, जिसने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत मामला दर्ज किया। इसमें आगे कहा गया कि दंपति ने 2018 से 2024 के बीच ED द्वारा उन्हें भेजे गए सभी समन का जवाब दिया।

याचिका में कहा गया,

"अप्रैल 2024 के महीने में याचिकाकर्ताओं को बहुत आश्चर्य हुआ, जब उन्हें ED द्वारा पारित आदेश का नोटिस मिला, जिसमें उनकी संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क करने का आदेश दिया गया, जिसमें उनके आवासीय परिसर भी शामिल थे, जिन्हें याचिकाकर्ता नंबर 1 (राज कुंद्रा) के पिता ने वर्ष 2009 में खरीदा था। कुर्की के अनंतिम आदेश की सेवा के बाद दोनों याचिकाकर्ताओं को तलब किया गया और वे व्यक्तिगत रूप से कार्यालय में उपस्थित हुए, जहां उनके बयान दर्ज किए गए।"

याचिका में आगे कहा गया कि दंपति ने अनंतिम कुर्की के आदेश पर प्रतिक्रिया भी दायर की। हालांकि, कानूनों को दरकिनार करते हुए न्यायाधिकरण ने 18 सितंबर को अनंतिम कुर्की के आदेश की पुष्टि की।

याचिका में आगे कहा गया,

"उक्त पुष्टि आदेश में ही कहा गया कि जिस कुर्की की पुष्टि की जा रही है, वह केवल मुकदमे के समापन तक है और उसके परिणाम के अधीन है। PMLA के प्रावधानों के अनुसार, पुष्टि आदेश को चुनौती दी जा सकती है और उक्त आदेश की प्राप्ति से 45 दिनों के भीतर चुनौती दी जानी आवश्यक है। हालांकि, केवल पुष्टि आदेश के आधार पर याचिकाकर्ताओं को बेदखली नोटिस दिए जा रहे हैं, जिसमें उन्हें अपने आवासीय परिसर को खाली करने के लिए कहा गया, जिसमें वे 15 वर्षों से अधिक समय से रह रहे हैं।"

याचिका में कहा गया कि उक्त नोटिस के आधार पर, जो मनमाना है और कानून के प्रावधानों के विरुद्ध है, प्रवर्तन निदेशालय अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष पुष्टि के आदेश को चुनौती देने के याचिकाकर्ताओं के अधिकार को कम कर रहा है।

इसके अलावा, यह भी बताया गया कि उक्त संपत्तियां उनके 'वैध' आय स्रोत के माध्यम से खरीदी गई, न कि कथित 'अपराध की आय' से। यह भी रेखांकित किया गया कि दंपत्ति अपराध की आय के 'प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष' लाभार्थी नहीं हैं।

इसलिए याचिका में बेदखली नोटिस रद्द करने की मांग की गई।

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