राज्य बार काउंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी बनाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका

Update: 2024-06-24 05:31 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई। उक्त याचिका में न्यायालय से राज्य बार काउंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों के लिए विशेष रूप से व्यापक मेडिक्लेम/हेल्थकेयर पॉलिसी बनाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया।

याचिकाकर्ता आलोक कुमार मिश्रा द्वारा दायर की गई याचिका में कानूनी पेशेवरों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा लाभ प्रदान करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया, जो अक्सर चिकित्सा बीमा कवरेज की कमी के कारण महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिमों और वित्तीय बोझ का सामना करते हैं।

जनहित याचिका में कहा गया,

"वकील न्याय प्रशासन का अनिवार्य हिस्सा हैं और वकील की सहायता के बिना न्यायिक प्रणाली का कामकाज संभव नहीं है, इसके बावजूद बार काउंसिल, यूपी में रजिस्टर्ड वकीलों को मेडिक्लेम पॉलिसी जैसा कोई लाभ नहीं मिल रहा है।"

जनहित याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि कई वकील दुर्घटनाओं और अन्य बीमारियों से पीड़ित हुए, लेकिन उन्हें संबंधित बार एसोसिएशनों से कुछ वित्तीय सहायता के अलावा सरकार से कोई सहायता नहीं मिल सकी। याचिका में न्यायालय से विशेष रूप से अनुरोध किया गया कि वह भारत संघ, उत्तर प्रदेश राज्य बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) सहित प्रतिवादियों को माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद, लखनऊ बेंच और विभिन्न जिलों, राजस्व न्यायालयों आदि में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों को मेडिक्लेम पॉलिसी या स्वास्थ्य कार्ड या स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए सिस्टम/नीति तैयार करने का निर्देश दे।

जनहित याचिका में कहा गया कि मध्य प्रदेश राज्य में मुख्यमंत्री वकील कल्याण योजना, 2012 नामक योजना संचालित है और वकीलों को कुछ लाभ प्रदान करती है। दिल्ली में मुख्यमंत्री वकील कल्याण योजना संचालित है और दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों को मेडिकल और अन्य लाभ प्रदान करती है।

इसमें कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों में अभ्यास करने वाले वकीलों के लिए ऐसी योजनाओं की उपलब्धता का भी हवाला दिया गया। हालांकि, इसमें यह भी कहा गया कि उत्तर प्रदेश राज्य बार काउंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों के लिए ऐसी कोई योजना उपलब्ध नहीं है, जो वकीलों के व्यापक हित में नहीं है।

संबंधित समाचार में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह पूरे उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट के समक्ष भी राज्य सरकार की ओर से पेश होने वाले वकीलों के लिए एक बीमा योजना तैयार करने पर विचार करे।

जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा।

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