जस्टिस एसके यादव के बयानों का समर्थन करने के लिए सीएम योगी को बर्खास्त करने की मांग
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई, जिसमें विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव के हालिया विवादास्पद बयानों का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बर्खास्त करने की मांग की गई।
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया कि सीएम के बयान भारत के धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के लिए अपमानजनक हैं।
इसमें तर्क दिया गया कि जस्टिस यादव को सीएम आदित्यनाथ द्वारा दिया गया समर्थन पद की शपथ का घोर उल्लंघन है, क्योंकि उन्होंने भारत के संविधान के प्रति आस्था और निष्ठा की अवहेलना की है।
एडवोकेट सीमा श्रीवास्तव के माध्यम से दायर जनहित याचिका में आगे कहा गया कि सीएम योगी के बयान बंधुत्व का उल्लंघन करते हैं। इसमें कहा गया कि यह कहना कि बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों पर हावी होना चाहिए, घृणा फैलाने वाला भाषण है और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।
उल्लेखनीय है कि शनिवार (14 दिसंबर, 2024) को मुंबई में विश्व हिंदू आर्थिक मंच 2024 में बोलते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग करने के लिए विपक्ष की आलोचना की थी।
जस्टिस यादव की टिप्पणी का समर्थन करते हुए सीएम योगी ने कहा था,
"जो कोई भी सच बोलता है" उसे इस तरह से धमकाया जाता है।
सीएम ने पूछा था,
"इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज ने कहा कि समान नागरिक संहिता होनी चाहिए और दुनिया भर में बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं का सम्मान किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति ने ये राय व्यक्त की तो उसका क्या अपराध है?"
सीएम योगी ने कहा था,
"क्या देश में समान नागरिक संहिता नहीं होनी चाहिए? दुनिया भर में व्यवस्था बहुसंख्यक समुदाय के कहे अनुसार चलती है और भारत कह रहा है कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच भेदभाव समाप्त होना चाहिए।"
इसके अलावा, 16 दिसंबर को सीएम आदित्यनाथ ने फिर से जस्टिस यादव के बयानों का समर्थन किया। यूपी विधानसभा में बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि जब कोई जज सच बोलता है तो कुछ लोग उसे धमकाने लगते हैं। जस्टिस यादव के रुख का बचाव करते हुए सीएम योगी ने विपक्ष द्वारा जज पर महाभियोग चलाने के प्रयास की भी आलोचना की थी।
जस्टिस यादव द्वारा 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम में की गई टिप्पणियों के संबंध में अपना पक्ष रखने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना की अगुवाई वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के समक्ष पेश होने के दो दिन बाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई।
10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उनके भाषण पर संज्ञान लिया और हाईकोर्ट से उससे संबंधित विवरण और जानकारियां मांगी थीं। इसके बाद जस्टिस यादव को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के समक्ष पेश होने को कहा गया था। जस्टिस यादव के भाषण की व्यापक आलोचना हुई, क्योंकि यह सांप्रदायिक और मुस्लिम समुदाय के प्रति अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि देश बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार काम करेगा और अपने भाषण में 'कठमुल**ह' शब्द का इस्तेमाल किया।
55 सांसदों द्वारा राज्यसभा महासचिव को सौंपे गए महाभियोग प्रस्ताव के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले ही जनहित याचिका दायर की जा चुकी है, जिसमें 8 दिसंबर को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (कानूनी प्रकोष्ठ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव द्वारा दिए गए भाषण को लेकर उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की गई।
जस्टिस यादव के भाषण पर लाइव लॉ की कवरेज यहां, यहां और यहां पढ़ें।