राहुल गांधी के चुनाव के खिलाफ याचिका: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील के विरुद्ध हाईकोर्ट के 2016 के निर्देश पर रजिस्ट्री से रिपोर्ट मांगी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह राहुल गांधी के लोकसभा चुनाव को चुनौती देने वाली जनहित याचिका में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से संबंधित उच्च न्यायालय के 2016 के निर्णय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
जस्टिस आलोक माथुर और जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की वेकेशन बेंच ने अपने आदेश में कहा,
"इस न्यायालय ने हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में इस न्यायालय की खंडपीठ के निर्णय का अवलोकन किया, जिसमें याचिकाकर्ता (अशोक पांडे) के वकील के कहने पर दायर रिट याचिकाओं की जांच करने के लिए इस न्यायालय की रजिस्ट्री को कुछ निर्देश दिए गए। इस न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा उक्त निर्णय के अनुपालन में ऐसी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। तदनुसार, रजिस्ट्री को इस न्यायालय की खंडपीठ के उक्त निर्णय की जांच करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।"
अब इस मामले की सुनवाई 1 जुलाई को हाईकोर्ट की नियमित पीठ के समक्ष होगी। उसी दिन, रजिस्ट्री द्वारा अपनी रिपोर्ट दाखिल करने की उम्मीद है, जैसा कि न्यायालय ने अपने बुधवार के आदेश में निर्देश दिया।
संदर्भ के लिए, 2016 में हाईकोर्ट रजिस्ट्री को दिए गए निर्देश में हाईकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री से कहा था कि प्रत्येक याचिका (एडवोकेट पांडे या हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दायर) को तभी दाखिल करने के लिए स्वीकार किया जाए, जब उसके साथ 25,000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट हो।
यह निर्देश तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (वर्तमान में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) और जस्टिस राजन रॉय की खंडपीठ ने पारित किया था, जिसमें कहा गया कि एडवोकेट पांडे केवल प्रचार के साधन के रूप में जनहित याचिका दायर कर रहे हैं।
बुधवार को जब जनहित याचिका पर सुनवाई हुई तो वेकेशन बेंच ने शुरुआत में ही एडवोकेट अशोक पांडे (जनहित याचिका याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील) से पूछा कि क्या उन्होंने याचिका के साथ 25,000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट दाखिल किया है।
जस्टिस देशवाल ने मौखिक रूप से टिप्पणी की:
“इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार आपकी (अशोक पांडे का संदर्भ देते हुए) कोई भी जनहित याचिका 25,000/- की लागत के बिना दायर नहीं की जा सकती” [इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, आपकी कोई भी जनहित याचिका (अशोक पांडे का संदर्भ देते हुए) 25,000/- रुपये की लागत जमा किए बिना दायर नहीं की जा सकती]।
न्यायालय के प्रश्न के अनुसार, याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई मामले दायर किए और रजिस्ट्री ने कभी भी आपत्ति नहीं की या उनसे डीडी जमा करने के लिए नहीं कहा। मामले को बाद में बेंच ने मामले की योग्यता पर विचार किए बिना स्थगित कर दिया।
महत्वपूर्ण बात यह है कि सुनवाई के दौरान, बेंच ने लाइव लॉ के रिपोर्टर (एसोसिएट एडिटर स्पर्श उपाध्याय) को अदालती कार्यवाही की लाइव रिपोर्टिंग बंद करने और कोर्ट से बाहर जाने के लिए भी कहा।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर ने वकील अशोक पांडे के माध्यम से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद के रूप में चुनाव को इस आधार पर रद्द करने के लिए जनहित याचिका दायर की कि वह भारतीय नहीं, ब्रिटिश नागरिक हैं। इस प्रकार लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं।
याचिकाकर्ता ने लोकसभा अध्यक्ष को यह निर्देश देने की भी मांग की कि जब तक केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उनकी विदेशी नागरिकता के मुद्दे का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक उन्हें संसद सदस्य के रूप में कार्य करने की अनुमति न दी जाए।
केस टाइटल- एस. विग्नेश शिशिर बनाम राहुल गांधी, लोकसभा सदस्य और अन्य