चुनाव अधिसूचना के दौरान राज्य चुनाव आयोग की पूर्व स्वीकृति के बिना पारित ट्रांसफर आदेश टिकने योग्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2024-08-13 08:24 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि चुनाव में शामिल किसी कर्मचारी को ट्रांसफर करने वाली कोई अधिसूचना उस अवधि के दौरान पारित नहीं की जा सकती, जब चुनाव अधिसूचना सक्रिय हो सिवाय राज्य चुनाव आयोग की पूर्व अनुमति के। यह माना गया कि ऐसा ट्रांसफर आदेश कानून में स्थापित नहीं है।

याचिकाकर्ता सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) के पद पर कार्यरत थे, जब जिला पंचायत राज अधिकारी, गोंडा द्वारा उनका ट्रांसफर आदेश जारी किया गया, जिसमें उन्हें विकास खंड वजीरगंज से विकास खंड मुजेहना, जिला-गोंडा ट्रांसफर किया गया। यह ट्रांसफर 15.07.2024 की चुनाव अधिसूचना के अनुसरण में किया गया, जिसमें पंचायत के चुनावों को अधिसूचित किया गया।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि प्रशासनिक प्राधिकारी को राज्य चुनाव आयोग की पूर्व स्वीकृति के बिना किसी कर्मचारी को ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है।

यह तर्क दिया गया कि आदर्श आचार संहिता के पैरा-6 (का) में प्रावधान है कि चुनाव अधिसूचना की अवधि के दौरान क्षेत्र के किसी भी कर्मचारी को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।

ट्रांसफर/नियुक्ति/पदोन्नति केवल राज्य चुनाव आयोग की पूर्व अनुमति/अनुमोदन के साथ बाध्यकारी परिस्थितियों में की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश राज्य और दूसरा, जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि कर्मचारियों के ट्रांसफर को चुनाव आयोग द्वारा केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए नियंत्रित किया जा सकता है, क्योंकि इसमें शामिल राजनीतिक दल अपने स्वयं के लाभ के लिए कुछ अधिकारियों को तैनात करना चाह सकते हैं।

जस्टिस राजेश सिंह चौहान ने कहा,

"यदि चुनाव अधिसूचना की अवधि के दौरान चुनाव आयोग से पूर्व अनुमोदन या अनुमति लिए बिना कोई ट्रांसफर आदेश पारित किया गया है तो वह आदेश कानून की दृष्टि में अमान्य होगा। इसलिए इसे ऐसे माना जाएगा जैसे कि कोई ट्रांसफर आदेश पारित नहीं किया गया। इस प्रकार यदि कोई हो तो उसका निष्पादन अर्थहीन होगा।"

यह माना गया कि यदि ट्रांसफर व्यक्ति चुनाव अधिसूचना की अवधि के दौरान अपनी जॉइनिंग प्रस्तुत करता है तो चुनाव अधिसूचना और आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य विफल हो जाएगा।

तदनुसार न्यायालय ने ट्रांसफर आदेश रद्द कर दिया, यह निर्देश देते हुए कि याचिकाकर्ता को उस स्थान पर ड्यूटी का निर्वहन करने की अनुमति दी जाए, जहां वह स्थानांतरण से पहले तैनात था।

केस टाइटल- रवि प्रकाश मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य।

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