जाति आधारित राजनीतिक रैलियों पर रोक, पुलिस रिकॉर्ड और वाहनों से हटेंगे जाति उल्लेख: हाईकोर्ट आदेश पर यूपी सरकार की कार्रवाई

Update: 2025-09-22 19:01 GMT

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए जाति-आधारित उल्लेखों को पुलिस अभिलेखों, आधिकारिक प्रारूपों, वाहनों और सार्वजनिक स्थानों से हटाने का 10 सूत्रीय आदेश जारी किया है। साथ ही, पूरे राज्य में जाति-आधारित राजनीतिक रैलियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश में कहा गया कि ऐसी रैलियाँ जातिगत संघर्ष को बढ़ावा देती हैं और "राष्ट्रीय एकता" के खिलाफ हैं। यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसले के अनुपालन में जारी हुआ है, जिसमें कोर्ट ने जाति-गौरव प्रदर्शन को "असंवैधानिक" और "राष्ट्र-विरोधी" बताया था।

हाईकोर्ट ने कहा था कि FIR, गिरफ्तारी मेमो, जब्ती पंचनामा और पुलिस नोटिस बोर्ड पर जाति लिखना पहचान-आधारित प्रोफाइलिंग है, जो पूर्वाग्रह को मजबूत करता है और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने वाहनों पर जाति-आधारित स्टीकर, कॉलोनियों को जाति-क्षेत्र घोषित करने वाले बोर्ड और सोशल मीडिया पर जाति-गौरव पोस्ट को भी सामाजिक विभाजन को गहरा करने वाला माना।

सरकार के आदेश (21 सितम्बर) के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  • CCTNS फॉर्मेट से "जाति कॉलम" हटाया जाएगा, जब तक हटाया न जाए तब तक इसे खाली छोड़ा जाएगा।
  • अभियुक्त/शिकायतकर्ता के पहचान विवरण में पिता/पति के साथ माँ का नाम भी जोड़ा जाएगा।
  • पुलिस थानों के नोटिस बोर्ड पर जाति का कॉलम मिटाया जाएगा।
  • गिरफ्तारी, बरामदगी और व्यक्तिगत तलाशी मेमो में जाति दर्ज नहीं होगी।
  • वाहनों पर जाति-आधारित नाम, नारे, स्टीकर लगाने पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।
  • गांव, कस्बों या मोहल्लों में जाति-आधारित बोर्ड/साइन हटाए जाएँगे।
  • राजनीतिक उद्देश्यों से जाति-आधारित रैलियाँ प्रतिबंधित होंगी।
  • सोशल मीडिया पर जाति-गौरव या जाति-आधारित घृणा वाले कंटेंट पर सख्त निगरानी व कार्रवाई होगी।
  • केवल कानूनी आवश्यकता (जैसे एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून की जांच) में ही जाति दर्ज की जाएगी।

सरकार ने गृह विभाग और डीजीपी को SOP तैयार करने और पुलिस नियमावली में संशोधन करने के निर्देश दिए हैं।

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