डिजिटल तकनीक से बदल रहा अपराध का चेहरा, सोशल मीडिया पर अश्लील तस्वीरों का प्रसार बर्बाद कर सकता है ज़िंदगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए हाल ही में कहा कि जब किसी की अश्लील तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाती हैं, तो यह ज़िंदगियों को तबाह कर सकती हैं।
जस्टिस अजय भनोट की एकल पीठ ने टिप्पणी की,
“डिजिटल तकनीक अपराध का चेहरा बदल रही है। किसी व्यक्ति की अश्लील तस्वीरें जब सोशल मीडिया जैसे सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर प्रसारित की जाती हैं तो वे ज़िंदगी को तबाह कर सकती हैं। यह समाज की कड़वी सच्चाई है।”
आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 74, 352, 351(2), 64(1) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67A के तहत मामला दर्ज किया गया था।
आरोप है कि आरोपी ने पीड़िता की निजी तस्वीरें व्हाट्सएप पर प्रसारित कीं। उसे इस वर्ष जनवरी में गिरफ्तार किया गया और ट्रायल कोर्ट द्वारा अप्रैल, 2025 में जमानत याचिका खारिज होने के बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी से कुछ तस्वीरें बरामद हुई हैं, जो फॉरेंसिक जांच में लंबित हैं। उसके अपराध में संलिप्त होने की संभावना है। इसलिए जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
कोर्ट ने डिजिटल अपराधों के बढ़ते खतरे और उनके सामाजिक प्रभाव पर चिंता जताई और ट्रायल कोर्ट को एक साल में मुकदमा निपटाने का निर्देश दिया। साथ ही ज़िला जज को सप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट लेने और एफएसएल रिपोर्ट दो माह में प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
इससे पहले भी कोर्ट ने सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो के प्रसार को समाज के लिए एक गंभीर खतरा बताया था और पुलिस की जांच की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे।
केस टाइटल: रामदेव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य