होटल मालिक केशव सूरी धारा 377 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए

Update: 2018-04-22 15:25 GMT

आईपीसी की धारा 377 को हटाने की मांग की

द ललित सूरी हॉस्पिटैलिटी ग्रुप के कार्यकारी निदेशक केशव सूरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर यौनिक पसंद को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक अधिकार घोषित करने की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने मांग की है कि आपसी सहमति से दो समलैंगिक वयस्कों के बीच यौन संबंध से अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होने के प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट समाप्त करे।

 सूरी ने एडवोकेट मुकुल रोहतगी के माध्यम से यह याचिका दायर की है जिस पर सोमवार को सुनवाई होने की उम्मीद है। याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा 377 गैर कानूनी है।

सूरी ने कहा कि वह आपसी सहमति से पिछले एक दशक से अपने एक वयस्क सहयोगी के साथ रह रहे हैं और वे देश के समलैंगिक, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीयर समुदाय के अंग हैं।

 इस उद्योगपति ने अपनी याचिका में कहा है कि अपनी यौनिक पसंद की वजह से उन्हें भेदभाव झेलना पड़ रहा है।

यह गौर करने वाली बात है कि सूरी ने “प्योर लव” नाम से सामाजिक अभियान चलाया था जिसका ध्येय विशेषकर एलजीबीटीक्यू समुदाय को एक ऐसा मंच उपलब्ध कराना था जहाँ पर वे अपने जीवन के अनुभवों को साझा कर सकें।

इस बारे में नवतेज सिंह की भी एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

 याचिका में कहा गया है कि देश में भारी संख्या में लोगों के साथ भेदभाव नहीं होने दिया जा सकता और उनको उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता और समलैंगिकों का अपराधीकरण का आधार कलंक है और इसी कलंक को देश की विधि व्यवस्था आगे बढ़ा रही है।

 सूरी का यह कहना है कि एलजीबीटीक्यू समुदाय का बहिष्करण का मतलब है उनको नौकरी और संपत्ति के निर्माण से दूर रखना है जो उनके स्वास्थय के साथ साथ जीडीपी को प्रतिकूलतः प्रभावित करता है। विश्व बैंक का आंकड़ा बताता है कि एलजीबीटी समुदाय को आर्थिक गतिविधियों से दूर रखने की कीमत जीडीपी में 0.1 से 1.7 प्रतिशत की कमी है और ऑफिस में काम करने वाले 56 प्रतिशत एलजीबीटी को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

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