पति या पत्नी द्वारा एक दूसरे पर अवैध संबंध होने के निराधार आरोप लगाना सबसे गंभीर किस्म की मानसिक क्रूरता : दिल्ली हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2018-03-08 04:33 GMT

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में पारिवारिक न्यायाधीश के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें उन्होंने एक पति को तलाक की अनुमति यह कहते हुए दी थी कि उसके खिलाफ कथित अवैध संबंधों के जो आरोप लगे थे वे उसके प्रति क्रूरता की तरह है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और दीपा शर्मा की पीठ ने कहा, “हमने पाया है कि इस तरह के अवैध संबंधों के झूठे आरोप जो इतने बड़े पैमाने पर लगाए गए, उससे पति को मानसिक पीड़ा हुई। इस तरह के आरोप संबंधों में व्यापक और स्थाई दरार उत्पन्न करता है और यह काफी गहरी पीड़ा देती है और यह आशंका पैदा होती है कि इसके बाद पत्नी के साथ रहना खतरनाक होगा विशेषकर अगर पत्नी आत्महत्या की धमकी दे रही है”।

कोर्ट फैमिली कोर्ट्स एक्ट, 1984 की धारा 19 के तहत दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उक्त बात कही। इस अपील में गत वर्ष अक्टूबर में दिए गए उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें इस पति-पत्नी की शादी को इस आधार पर विघटित कर दिया गया कि याचिकाकर्ता पत्नी पति पर क्रूरता कर रही है।

पति ने क्रूरता का आरोप लगाया था और कहा था उसकी पत्नी उसको धमकी दे रही है कि वह आत्महत्या कर लेगी और उसके पूरे परिवार को दहेज़ के झूठे आरोपों में फंसा देगी। उसने आगे कहा था कि पत्नी ने उस पर आरोप लगाया था कि उसका उसकी साली के साथ अवैध संबंध है।

पारिवारिक जज ने फैसला पति के पक्ष में सुनाया और कहा कि इस तरह के निराधार आरोप सबसे गंभीर किस्म की मानसिक क्रूरता है। इस तरह के मामले में पहले दिए गए फैसलों का हवाला देते हुए जज ने परिवार जज के फैसले को सही ठहराया।


 Full View

Similar News