गौरक्षा के नाम पर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को अवमानना का नोटिस जारी किया [याचिका पढ़े]

Update: 2018-01-29 14:32 GMT

गौरक्षा के नाम पर गौरक्षक दलों द्वारा हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए। हालांकि कोर्ट ने मुख्य सचिवों को निजी तौर पर पेश होने से छूट दे दी।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने तुषार गांधी द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर ये निर्देश जारी किए हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ये राज्य हिंसा रोकने में नाकाम रहे हैं और इन राज्यों में गौरक्षा के नाम पर हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं। इसलिए उनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि 6 सितंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा था कि गौरक्षा  के नाम पर हिंसा रुकनी चाहिए। घटना के बाद ही नहीं उससे पहले भी रोकथाम के उपाय जरूरी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि हर राज्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए हर जिले में वरिष्ठ पुलिस पुलिस अफसर को नोडल अफसर नियुक्त हों जो ये सुनिश्चित करे कि कोई भी विजिलेंटिज्म ग्रुप कानून को अपने हाथों में ना ले। अगर कोई घटना होती है तो नोडल अफसर कानून के हिसाब से कारवाई करे।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस ए एम खानविलकर की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को डीजीपी के साथ मिलकर हाईवे पर पुलिस पेट्रोलिंग को लेकर रणनीति तैयार करने को कहा था।

तुषार गांधी की ओर से दाखिल हस्तक्षेप याचिका पर पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि देशभर में गौरक्षा के नाम पर 66 वारदातें हुई हैं। केंद्र सरकार कह रही है कि ये राज्यों का मामला है जबकि संविधान के अनुसार केंद्र को राज्यों को दिशा निर्देश जारी करने चाहिए।

वहीं तीन राज्यों हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात की ओर से पेश ASG तुषार मेहता ने कहा था कि राज्य इस संबंध में कदम उठा रहे हैं।

दरअसल गौरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की माँग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।  इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 6 राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।गुजरात, राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक को नोटिस जारी किया था। वहीं केंद्र सरकार ने इस मामले में पल्ला झाडते हुए कहा था कि ये कानून व्यवस्था का मामला है और राज्य सरकारें ऐसे मामलों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कारवाई कर रही है। केंद्र ने ये भी कहा था कि इस तरीके से कानून को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती।


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