मेडिकल कॉलेज घोटाला : सीबीआई ने कोर्ट में कहा, कुदुसी की याचिका जांच में हस्तक्षेप करने के लिए
मेडिकल कॉलेज घोटाले में आरोपी उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जज आई एम कुदुसी की अर्जी पर दिल्ली की अदालत में जवाब दाखिल करते हुए सीबीआई ने कहा है कि
उनकी कथित टेलीफोन बातचीत के टेप लीक होने संबंधी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इस प्रकृति की याचिका जांच में "गंभीर हस्तक्षेप" के समान है। विशेष जज मनोज जैन की अदालत में सोमवार को सीबीआई ने कहा, "वर्तमान याचिका मुख्य रूप से व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इसमें मीडिया रिपोर्टों के आधार पर जांच की निगरानी का अनुमान लगाया जा रहा है। ये अर्जी इस मामले में केस डायरी की जानकारी हासिल करने के लिए लगाई गई है। अपने जवाब में सीबीआई ने ये भी कहा है कि मीडिया के पास इस तरह के दस्तावेज और टेप प्राप्त करने के कई स्त्रोत हैं।
दरअसल 17 जनवरी को सीबीआई की विशेष अदालत ने उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जज आईएम कुदुसी की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा था। कुदुसी ने उनके, एक मध्यस्थ और मेडिकल ट्रस्ट के अधिकारी के बीच टेलीफोन पर बातचीत के टेप लीक होने/ चोरी होने की जांच कराने की याचिका दाखिल की है। गौरतलब है कि ये तीनों सनसनीखेज मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में आरोपी हैं और उनके खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश मनोज जैन ने कुदुसी की अर्जी पर सीबीआई को 22 जनवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा था जिसमें उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई है कि किस तरह से टेप की गई बातचीत और सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के कुछ अंश मीडिया में सामने आए हैं। पूर्व न्यायाधीश ने सीबीआई द्वारा रिश्वत मामले में दर्ज एफआईआर की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है और साथ ही टेलीफोन टेप व सीबीआई की पीई रिपोर्ट के कथित लीक या चोरी की जांच के लिए भी प्रार्थना की है।उन्होंने कहा कि टेप या तो सीबीआई से किसी के द्वारा लीक किया गया है या वे चोरी हुए हैं। इस मामले में यह आपराधिक दुर्व्यवहार या चोरी का अपराध होगा और इसकी जांच की जानी चाहिए। कुदुसी ने ये भी आशंका जताई है कि मामले को माडिया ट्रायल बनाया जा रहा है और हो सकता है कि दस्तावेजों से छेडछाड हुई हो।
कुदुसी ने कहा, “ ये निगरानी करना आवश्यक है कि क्या कथित बातचीत और पी.ई. रिपोर्ट सीबीआई के भीतर किसी व्यक्ति द्वारा लीक की गई या चोरी की गई है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ये ‘मीडिया द्वारा ट्रायल' ना बने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्याय का प्रशासन तीसरे पक्षों के हस्तक्षेप से समझौता नहीं करता। इसके अलावा दस्तावेजों के छेड़छाड़ की संभावना को भी रद्द नहीं किया जा सकता जिसकी जांच भी की जानी चाहिए। "
गौरतलब है कि सीबीआई ने 19 सितंबर 2017 को कुदुसी, मध्यस्थ बिश्वनाथ अग्रवाल और शैक्षणिक ट्रस्ट के बीपी यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। पिछले कुछ दिनों से उनके बीच कथित बातचीत और मेडिकल कॉलेज के विषय में बातचीत के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए कोड शब्द के हवाले से खबरें आ रही हैं।
कुदुसी ने ऑनलाइन समाचार पोर्टल वायर की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि यह बातचीत और सीबीआई की पीई रिपोर्ट उसका हिस्सा था जबकि अदालत ने सीबीआई बनाम एसकेएस इस्पात एंड पावर लिमिटेड में सीबीआई अदालत के फैसले का हवाला देते हुए जांच अधिकारी को पीई रिपोर्ट की एक प्रति की आपूर्ति करने के लिए निर्देश देने से इनकार कर दिया था।
पूर्व न्यायाधीश ने कहा है कि पीई रिपोर्ट एक गोपनीय दस्तावेज है, जिसे अभियुक्त तक को नहीं दिया गया। हालांकि वर्तमान मामले में यह जांच एजेंसी के बाहर लोगों के हाथों में है, जिससे गंभीर संदेह और जांच में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की आशंका होती है। कुदुसी ने ये भी कहा है कि सीबीआई आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर है और संबंधित अदालत के आदेश का इंतजार किए बिना ये दस्तावेज अब बाहरी लोगों के कब्जे में हैं।
कुदुसी की प्रार्थनाएं।
ए- अदालत जांच की निगरानी करें और आवश्यक आदेश पारित करे जिससे यह जांच हो सके कि क्या इन गोपनीय दस्तावेजों को लीक करके आपराधिक कदाचार किया गया है या ये चोरी किए गए हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
ख - कोर्ट जांच की निगरानी करें और ये जांच कराई जाए कि किसी भी दस्तावेज़ / बातचीत से छेड़छाड़ की गई है या नहीं।