सोहराबुद्दीन मुठभेड़ : अमित शाह को आरोपमुक्त करने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई 13 फरवरी तक टली

Update: 2018-01-23 09:13 GMT

सीबीआई को सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य अमित शाह के आरोपमुक्त किए जाने को चुनौती देने के निर्देश जारी किए जाने की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई 13 फरवरी तक टल गई है।

मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील ने इस संबंध में याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं व अन्य मुद्दे पर निर्देश लेने के लिए वक्त की मांग की जिसे बेंच ने मंजूर कर लिया।

दरअसल सोमवार को ही बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन के वकील अहमद आब्दी ने जस्टिस  एस.सी. धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई का आग्रह किया था जिस पर बेंच तैयार हो गई थी।

दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर मांग की गई है कि सीबीआई को सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य अमित शाह के आरोपमुक्त किए जाने को चुनौती देने के निर्देश जारी किए जाएं। ये याचिका बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन  द्वारा दाखिल की गई है। इसी संगठन ने पहले भी एक एक याचिका दायर की है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज  की अध्यक्षता में जांच आयोग से सीबीआई के जज बीएच लोया की मौत की जांच की मांग की है और ये मामला सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसफर कर अपने पास ले लिया है।

याचिकाकर्ताओं ने सीबीआई जज जेटी उत्पत के तबादले के आदेश को भी चुनौती दी है, जो पूर्व में सोहराबुद्दीन मुकदमे को देख रहे थे।

 इस याचिका में कहा गया है कि तबादले का आदेश 27 सितंबर, 2012 के  सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने जज उत्पत के तबादले का फैसला लिया और बाद में ये केस जज बी एच लोया को सौंप दिया गया।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि पहले गुजरात सरकार ने जोर देकर नकारा था कि सोहराबुद्दीन की मुठभेड़ फर्जी और रची गई थी लेकिन बाद में राज्य ने स्वीकार किया कि यह वास्तव में फर्जी मुठभेड़ का मामला है। जनहित याचिका में कहा गया है कि  सीबीआई ने 2010 में सुप्रीम कोर्ट

 सामने दायर अपनी चार्जशीट में दावा किया था कि 'बहुत बड़ी साजिश' का पता लगाया गया है और अमित शाह साजिश के साझीदार थे। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के एक साक्षी तुलसीराम प्रजापति की हत्या के मामले में सीबीआई ने मुठभेड़ में आरोपपत्र में अमित शाह पर भी आरोप लगाया था।

जनहित याचिका में मामले को गुजरात से स्थानांतरित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। आदेश में कहा गया है:

प्रशासनिक समिति मामले को एक अदालत में प्रदान करेगी जहां मुकदमे का न्यायिक रूप से कानून के अनुसार और बिना किसी देरी के निष्कर्ष निकाला जा सकता है। प्रशासनिक समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि मुकदमा एक ही अधिकारी द्वारा शुरू से समाप्त होने तक आयोजित किया जाना चाहिए।

 इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट के इरादे बहुत स्पष्ट थे फिर भी जज जेटी उत्त्पत को मामले में अचानक स्थानांतरित कर दिया गया और जज लोया ने पदभार संभाला था। इसके अलावा याचिका में प्रशासनिक समिति की बैठक के कुछ ब्यौरे की मांग की गई है जहां उनके स्थानांतरण का निर्णय लिया गया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि सीबीआई के सामने एक ज्ञापन दिया गया है लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं आया। गौरतलब है कि ये पत्र कुछ दिन पहले ही 16 जनवरी, 2018 को लिखा गया था।


Image Courtesy: NDTV

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