ब्राह्मण महिला शादी करके एससी/एसटी का स्टेटस नहीं प्राप्त कर सकती : हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2017-11-18 04:40 GMT

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने इस बात को दुहराया है कि एक व्यक्ति जो जन्मजात अनुसूचित जनजाति या अनुसूचित जाति का नहीं है, अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति से शादी कर उस जाति या जनजाति विशेष की जाति का नहीं हो सकता।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति मोहन गोएल की पीठ ने अथॉरिटी के इस आदेश को सही ठहराया जिसमें अनुसूचित जनजाति के एक व्यक्ति से शादी कर लेने वाली ऊंची जाति की एक महिला को मिले अनुसूचित जनजाति के प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया गया था। इस प्रमाणपत्र के आधार पर  प्राप्त रोजगार को भी रद्द कर दिया गया।

इस मामले में महिला केंद्रीय विद्यालय संगठन में शिक्षक के पद पर 1986 में नियुक्ति पाई थी। 25 साल तक नौकरी करने के बाद उसके खिलाफ अभियोग लगाया गया कि उसने गलत जाति प्रमाणपत्र दाखिल कर यह नौकरी हासिल की थी जो अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लिए आरक्षित थी। बाद में उसका अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र अथॉरिटी ने इस आधार पर रद्द कर दिया कि वह जन्म से अनुसूचित जनजाति श्रेणी की नहीं बल्कि ऊंची जाति के परिवार की थी।  उसे नौकरी से भी निकाल दिया गया। उसने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।


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