अंतर धार्मिक विवाह : केरल हाईकोर्ट ने शादी करना चाह रहे हिंदू- मुस्लिम प्रेमी जोडे को सुरक्षा देने के आदेश दिए [याचिका और आर्डर पढ़े]

Update: 2017-11-05 14:47 GMT

केरल हाईकोर्ट ने शादी करना चाह रहे एक मुस्लिम युवक और हिंदू लडकी को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए जाने के आदेश जारी किए हैं। ये आदेश युवक की इस पुर्नविचार याचिका पर जारी किए गए हैं जिसमें उसकी हैबियस कॉरपस याचिका को खारिज करने के आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई गई थी।

पुनर्विचार याचिका में ये आधार दिया गया था कि लडकी को डरा धमका कर कोर्ट में उसके खिलाफ बयान देने के लिए राजी किया गया था। दरअसल मुस्लिम युवक और हिंदू लडकी पति- पत्नी की तरह रहना चाहते हैं और उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत नोटिस भी दिया था। इसी दौरान आरोप लगाया गया कि लडकी को उसके घरवालों के कहने पर अगवा किया गया और बंधक बनाकर रखा गया। युवक ने लडकी को कैद से छुडाने के लिए हैबियस कॉरपस याचिका दाखिल की और शादी के लिए सुरक्षा मांगी। जब कोर्ट के आदेश पर 23 फरवरी को कोर्ट में पेश किया गया तो उसने अपने घरवालों के साथ रहने की इच्छा जताई और कहा कि वो युवक से शादी नहीं करना चाहती। इस बयान के आधार पर हाईकोर्ट ने युवक की हैबियस कॉरपस याचिका खारिज कर दी।

अब युवक ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर कहा कि युवती ने डर की वजह से 23 फरवरी को ये बयान दिए थे। उसने याचिका में कहा कि घरवालों ने लडकी को कोचीन के पास शिवाशक्ति योगा सेंटर में अवैध तरीके से बंधक बनाकर रखा है। ये भी आरोप लगाया कि इस रिश्ते को खत्म करने के लिए योगा सेंटर में  लडकी को टार्चर और प्रताडित किया जा रहा है। उसे मानसिक रूप से बीमार घोषित करने की कोशिश भी की जा रही है। यहां तक कि 23 फरवरी को उसके रिश्तेदारों के कहने पर योगा सेंटर के गुंडे युवती के साथ कोर्ट आए थे और उनके दबाव में उसने कोर्ट में रिश्ते को नकार दिया। याचिका में ये भी कहा गया कि लडकी किसी तरह हिरासत से बचकर उसके पास आ गई है और दोनों अब शादी करना चाहते हैं। लेकिन कोर्ट के 23 फरवरी के आदेश के चलते शादी पंजीकृत नहीं हो पा रही है। युवक ने ये भी कहा है कि उसके धर्म की वजह से उसे आतंकवादी घोषित करने की कोशिश भी की जा रही है। योगा सेंटर के गुंडों के खतरे से चलते दोनों सुरक्षा के लिए भागते फिर रहे हैं।

याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ए एम शफीक और जस्टिस पी सोमाराजन ने युवक- युवती को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिए हैं। साथ ही लडकी के मां- पिता को नोटिस भी जारि किया है।

गौरतलब है कि पिछले महीने ही केरल हाईकोर्ट की दूसरी बेंच ने कहा था कि सभी अंतर धार्मिक शादियों को लव जेहाद या घर वापसी का नाम नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि किसी बालिग महिला द्वारा अंतर धार्मिक या अंतर जातीय विवाह करने के फैसले में वो दखल नहीं देगा।


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