एक्सिडेंट कहीं भी हो सकता हैः बॉम्बे हाई कोर्ट ने दही हांडी के लिए पिरामिड की उंचाई और बच्चों की उम्र सीमा को लेकर पाबंदी हटाई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने दही हांडी के लिए पिरामिड की उंचाई और उसमें भाग लेने वाले बच्चों की उम्र सीमा को लेकर लगाए गए रिस्ट्रिक्शन को हटा दिया है। इस मामले में राज्य सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि दही हांडी में भाग लेने वालो बच्चों की सेफ्टी के लिए तमाम उपाय किए गए हैं।
पिछले आदेश से अलग हाई कोर्ट ने इस बार राज्य सरकार की दलील को स्वीकार कर लिया। इसके लिए दही हांडी में भाग लेने वाले गोविंदाओं की उम्र सीमा 14 साल से ऊपर की कर दी गई है और पिरामिड की उंचाई के लिए तय की गई 20 फीट की लिमिट को हटा दिया है। हाई कोर्ट ने 2014 में अपने जजमेंट में कैप लगा दिया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एमएस कार्निक ने कहा कि मानवीय पिरामिड और उसमें भाग लेने वाले गोविंदाओं की उम्र का फैसला विधायिका लेगी और यह उन्हीं का अधिकार है। 2014 के फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने चुनौती दी थी जिसके बाद मामला दोबारा सुप्रीम कोर्ट गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा था कि वह राज्य सरकार की नई दलील के मद्देनजर मामले की सुनवाई फिर से करे। दही हांडी के दौरान होने वाली घटनाओं के मद्देनजर कोर्ट ने उंचाई और भाग लेने वाले बच्चों की उम्र सीमा तय कर दी थी। इससे पहले अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि राज्य सरकार ने त्योहार के दौरान सेफ्टी के लिए तमाम इंजजाम किए हैं। 2014 में याचिका दायर करने वाली स्वाति पाटिल ने कहा कि कोर्ट के आदेश से जो रिस्ट्रिक्शन हुआ था उस कारण घटनाओं में 78 फीसदी की कमी आई है। तब कोर्ट ने कहा कि घटनाएं कहीं भी कभी भी हो सकती है। अब कोर्ट के सामने राज्य सरकार ने अंडरटेकिंग दी है और सेफ्टी के इंतजाम की बात कही है।