आपराधिक मामलों में चार्जशीट पेश करने के बाद ही पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण पर रोक लगाई जा सकती है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
Praveen Mishra
19 Feb 2025 11:39 AM

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल प्राथमिकी दर्ज करने या जांच लंबित होने से प्राधिकरण को आवेदक का पासपोर्ट जारी करने या उसका नवीनीकरण करने से नहीं रोका जा सकता। अदालत ने फैसला सुनाया कि अधिकारी पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकृत करने से इनकार नहीं कर सकते हैं जब तक कि उक्त मामले की प्राथमिकी में आरोप पत्र पेश नहीं किया जाता है।
अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में जांच अभी पूरी नहीं हुई है और अदालत के समक्ष आरोप पत्र पेश नहीं किया गया है।
जस्टिस जावेद इकबाल वानी की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का पालन किया जिसमें कहा गया था कि आपराधिक कार्यवाही तभी लंबित मानी जाती है जब जांच एजेंसी द्वारा अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली जाती है और निजी शिकायत के मामले में अदालत संज्ञान लेती है। यह कहा गया था कि जब तक ऐसी कोई घटना नहीं होती है, तब तक यह नहीं कहा जा सकता है कि पासपोर्ट जारी करने पर रोक लगाने के उद्देश्य से अदालत में आपराधिक कार्यवाही लंबित है।
पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6 (2) (f) में यह प्रावधान है कि पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेजों के अनुदान या नवीनीकरण के अनुरोध को अस्वीकार किया जा सकता है यदि आवेदक द्वारा किए गए कथित अपराध के संबंध में कार्यवाही भारत में एक आपराधिक अदालत के समक्ष लंबित है।
अदालत ने राजेश गुप्ता बनाम भारत संघ और अन्य (2022) पर भरोसा किया, जिसमें उसी अदालत की एक समन्वय पीठ ने कहा कि केवल प्राथमिकी दर्ज करना या जांच एजेंसी द्वारा जांच का लंबित होना पासपोर्ट के नवीनीकरण से इनकार करने का वैध आधार नहीं है।
अदालत ने पासपोर्ट प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह पासपोर्ट/यात्रा दस्तावेज के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करे, भले ही प्राथमिकी में याचिकाकर्ता की कथित संलिप्तता हो और इस संबंध में पुलिस महानिदेशक द्वारा मंजूरी नहीं दी गई हो।
मामले की पृष्ठभूमि:
याचिकाकर्ता एक सेवानिवृत्त लोक सेवक था, जिसने जम्मू-कश्मीर प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन में उप महाप्रबंधक के रूप में काम किया था। सेवा में रहते हुए, उनके खिलाफ IPC की धारा 468, 471 और 120-B के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5 (2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हालांकि, अदालत के सामने अभी तक कोई चार्जशीट पेश नहीं की गई थी। याचिकाकर्ता ने अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन लंबित प्राथमिकी के कारण आवेदन खारिज कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि लंबित जांच के कारण उसके पासपोर्ट/यात्रा दस्तावेज को फिर से जारी करने से रोकना अवैध है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
इसलिए, अदालत ने प्राधिकरण को चार सप्ताह की अवधि के भीतर लंबित जांच को ध्यान में रखे बिना याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करने का निर्देश दिया। अदालत ने प्रतिवादी को यह भी निर्देश दिया कि वह फिर से सत्यापित करे कि प्राथमिकी में आरोप पत्र अदालत के समक्ष पेश किया गया है या नहीं।